राज्यों की वित्तीय स्थिति 2022-23 पर RBI की रिपोर्ट
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने 16 जनवरी को “राज्य वित्त: 2022-23 के बजट का एक अध्ययन” शीर्षक से रिपोर्ट जारी की, जो एक वार्षिक प्रकाशन है और यह 2022-23 के लिए राज्य सरकारों के वित्तीय स्थिति, विश्लेषण और आकलन प्रदान करता है।
- इस वर्ष की रिपोर्ट की थीम “भारत में पूंजी निर्माण – राज्यों की भूमिका” है।
कैसी है राज्यों की वित्तीय स्थिति?
- राज्य का GDP-ऋण अनुपात (debt-to-GDP) अभी भी उच्च बना हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार, GDP-ऋण अनुपात 2020-21 में 31.1 प्रतिशत से कम होकर 2022-23 में 29.5 प्रतिशत हो गया है। कम भले ही हुआ हो परन्तु अभी सहज स्थिति नहीं है। बता दें कि एन के सिंह की अध्यक्षता वाली राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन समीक्षा समिति ने राज्यों के लिए जीडीपी-ऋण अनुपात (debt-to-GDP) 20 प्रतिशत करने की सिफारिश की थी।
- रिपोर्ट के अनुसार 2020-21 में राज्यों द्वारा ब्याज भुगतान बढ़कर सकल घरेलू उत्पाद का 2 प्रतिशत हो गया, जो 2017-18 में 1.7 प्रतिशत था। राज्यों को उम्मीद है कि 2022-23 में यह घटकर 1.8 प्रतिशत हो जाएगी।
- राज्यों के सकल राजकोषीय घाटे (GFD) 2020-21 के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के 4.1 प्रतिशत से घटाकर 2022-23 में 3.4 प्रतिशत करने का अनुमान है।
- सकल राजकोषीय घाटा (GFD) ऋण भुगतान व ऋणों की वसूली के शुद्ध संवितरण और राजस्व प्राप्तियों व गैर-ऋण पूंजी प्राप्तियों के बीच का अंतर है।
- रिपोर्ट में बताया गया है कि CAG के आंकड़ों से संकेत मिलता है कि चालू वित्त वर्ष के पहले छह महीनों में राज्य सरकारों का पूंजीगत व्यय 7 प्रतिशत की मामूली दर से बढ़ा है, जबकि केंद्र ने 50 प्रतिशत की वृद्धि दिखाई है। इसलिए, राज्यों को वर्ष की दूसरी छमाही में निवेश बढ़ाने की आवश्यकता होगी और इस तरह के प्रयासों को कर और गैर-कर राजस्व में वृद्धि का समर्थन मिलेगा।