RBI ने बैंकों की प्रोविजनिंग के लिए ‘संभावित हानि (EL)आधारित’ एप्रोच का प्रस्ताव किया है
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने बैंकों की ऋण हानि प्रोविज़निंग के लिए अपेक्षित हानि (EL: expected losses)-आधारित व्यवस्था पर चर्चा पत्र जारी किया है। इसमें ‘हो चुके नुकसान’ (incurred losses) की जगह ‘संभावित नुकसान’ (expected losses) के सिद्धांतों के लिए प्रोविज़निंग करने का प्रस्ताव किया गया है।
ऋण हानि प्रोविज़निंग कुछ ऐसा है जो बैंक डिफ़ॉल्ट या समस्याग्रस्त ऋणों के लिए धन को अलग रखता है।
प्रमुख तथ्य
- इसने बैंकों द्वारा प्रोविज़निंग के लिए ‘संभावित नुकसान’व्यवस्था अपनाने के लिए एक फ्रेमवर्क का प्रस्ताव किया है। प्रस्तावित मानदंड क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों के लिए हैं।
- वर्तमान में, बैंकों को ‘हो चुके नुकसान’ (incurred losses) के आधार पर ऋण हानि प्रोविज़निंग (loan loss provisions) करने की आवश्यकता होती है, जो हाल तक वैश्विक स्तर पर मानक हुआ करता था।
- RBI की नयी नीति का उद्देश्य बैंकिंग प्रणाली को संकट का सामना करने के लिए और मजबूत करना है।
- रिज़र्व बैंक ने बैंकों द्वारा ऋण हानि प्रोविज़निंग को नियंत्रित करने वाले विवेकपूर्ण नियमों में संशोधन करने का प्रस्ताव किया है ताकि मौजूदा ‘हो चुके नुकसान’ की व्यवस्था के बजाय अधिक भविष्योन्मुखी संभावित ऋण हानि एप्रोच को शामिल किया जा सके।
- प्रस्तावित फ्रेमवर्क में बैंकों को अपनी फाइनेंसियल एसेट्स को तीन श्रेणियों (स्टेज 1, स्टेज 2 और स्टेज 3) में वर्गीकृत करना होगा।
- बैंकों को प्रस्तावित सिद्धांतों के अनुरूप लोन प्रोविज़न का अनुमान लगाने के उद्देश्य से अपेक्षित ऋण हानियों को मापने के लिए अपने स्वयं के मॉडल को डिजाइन और कार्यान्वित करने की अनुमति होगी।