भारत का निर्यात पहली बार 400 अरब डॉलर के पार

पेट्रोलियम उत्पाद, इंजीनियरिंग, रत्न एवं आभूषण तथा रसायन जैसे क्षेत्रों के बेहतर प्रदर्शन की वजह से भारत का निर्यात चालू वित्त वर्ष 2021-22 में 400 अरब डॉलर के आंकड़े को पार कर गया है। किसी वित्त वर्ष में निर्यात का आंकड़ा पहली बार 400 अरब डॉलर के पार गया है।

  • वस्तुओं का निर्यात वित्त वर्ष 2021-22 में 21 मार्च तक 37 प्रतिशत बढ़कर 400.8 अरब डॉलर पहुंच गया। इससे पूर्व वित्त वर्ष 2020-21 में यह 292 अरब डॉलर था। इससे पहले, 2018-19 में निर्यात रिकॉर्ड 330.07 अरब डॉलर पर गया था।
  • सरकार ने वित्त वर्ष के अंत तक ये आंकड़ा हासिल करने का लक्ष्य रखा था लेकिन वित्त वर्ष खत्म होने से 9 दिन पहले ही ये लक्ष्य हासिल कर लिये गया।
  • चालू वित्त वर्ष में आयात 589 अरब डॉलर रहा है। इससे व्यापार घाटा करीब 189 अरब डॉलर पर पहुंच गया है।
  • निर्यात के इस महत्वपूर्ण लक्ष्य को हासिल करने में पेट्रोलियम उत्पादों, इंजीनियरिंग, रत्न और आभूषण, रसायन तथा औषधि जैसे क्षेत्रों का प्रमुख रूप से योगदान रहा।
  • निर्यात के पांच प्रमुख गंतव्य हैं ;अमेरिका, संयुक्त अरब अमीरात, चीन, बांग्लादेश और नीदरलैंड।

निर्यात में वृद्धि कैसे हासिल हुई?

  • सरकार के सभी विभागों ने लक्ष्य प्राप्ति के लिए समन्वय बनाकर काम किया।
  • सभी लक्ष्यों की आक्रामक तरीके से निगरानी की गई।
  • नए और उभरते बाजारों-उत्पादों, हिस्सेदारी खो चुके बाजारों पर विशेष ध्यान दिया गया।
  • निर्यातकों से जुड़ी समस्याओं के जल्द समाधान पर खास ध्यान दिया गया।
  • MSME और स्टार्टअप्स को निर्यात के लिए व्हीकल के तौर पर तैयार किया गया।
  • ज्यादा से ज्यादा राज्यों और जिलों से उत्पादों का चुनाव किया गया।
  • एक जिला एक उत्पाद योजना
  • विदेशी मिशनों के साथ समय-समय पर लक्ष्य प्राप्ति की समीक्षा की गई।
  • राज्य और जिला स्तर पर नजदीकी संपर्क रखा गया।
  • समस्याओं के तेज समाधान के लिए भागीदारी देशों के साथ बातचीत की गई।
  • लक्ष्य प्राप्ति के लिए निर्यातकों को समय पर मदद दी गई।
  • विविध हितधारकों की सहायता से, जिला स्तर से लेकर विदेशी बाजारों तक एक मजबूत बैकवर्ड फारवर्ड लिंकेज की स्थापना करने के लिए प्रयास किया गया
  • निर्यातबंधु योजना , निर्यात योजना के लिए व्‍यापार अवसंरचना (TIES), बाजार पहुंच पहल (MAI), “कृषि निर्यात नीति”, निर्यात उत्पादों पर शुल्क और करों की छूट योजना ( RoDTEP), राज्य और केंद्रीय लेवी तथा करों में छूट (RoSCTL) स्कीम, 12 चैंपियन सेवा क्षेत्र जैसे योजनाओं ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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