मंगल ग्रह के पास सॉलिटरी वेव्स का पहला साक्ष्य
वैज्ञानिकों ने मंगल ग्रह के मैग्नेटोस्फीयर में एकाकी तरंगों (solitary waves) या विशेष प्रकार विद्युत क्षेत्रके उतार-चढ़ाव (electric field fluctuations) की उपस्थिति के प्रथम साक्ष्य की सूचना दी है।
- पहली बार, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ जियोमैग्नेटिज्म (IIG) के एक शोध दल ने लैंगमुइर प्रोब तथा नासा के MAVEN यान के वेव्स इंस्ट्रूमेंट की मदद से मंगल ग्रह के मैग्नेटोस्फीयर में सॉलिटरी वेव्स की पहचान की है।
- इन तरंगों का अध्ययन महत्वपूर्ण है क्योंकि ये तरंग-कण परस्पर क्रियाओं (wave-particle interactions) के माध्यम से सीधे कणीय ऊर्जा (particle energization), प्लाज्मा हानि, परिवहन आदि को नियंत्रित करते हैं।
क्या हैं सॉलिटरी वेव्स?
- सॉलिटरी वेव्स विशेष इलेक्ट्रिक क्षेत्र में उतार-चढ़ाव (द्विध्रुवीय या एकध्रुवीय) हैं जो निरंतर आयाम-चरण संबंधों का पालन करती हैं।
- उनके प्रसार के दौरान उनका आकार और विस्तार कम प्रभावित होते हैं।
- मंगल ग्रह के चारों ओर 1000-3500 किमी की ऊंचाई पर सुबह और दोपहर-शाम के क्षेत्रों में ये सॉलिटरी वेव्स पल्सेस प्रमुख रूप से देखी जाती हैं।
- वैज्ञानिकों के मुताबिक सुबह और सायं काल में सॉलिटरी वेव्स की प्रमुख घटना अभी भी एक रहस्य है और आगे की जाँच की आवश्यकता है।
- बता दें कि हमारी पृथ्वी एक विशाल चुंबक है, और इसका चुंबकीय क्षेत्र हमें उच्च गति वाले आवेशित कणों से बचाता है जो सौर पवन के रूप में सूर्य से लगातार उत्सर्जित होते रहते हैं।
- पृथ्वी के विपरीत, मंगल ग्रह का कोई आंतरिक चुंबकीय क्षेत्र नहीं है (Mars do not have any intrinsic magnetic field)। यह उच्च गति वाली सौर पवन को प्रवाह में बाधा की तरह मंगल के वायुमंडल के साथ सीधे संपर्क करने की अनुमति देता है।
- यह सुझाव दिया गया है कि मंगल ग्रह की तरह एक कमजोर और पतले मैग्नेटोस्फीयर में भी, सॉलिटरी वेव्स की लगातार परिघटनाओं को देखा जा सकता है। हालांकि, मंगल पर कई मिशनों के बावजूद, मंगल ग्रह के मैग्नेटोस्फीयर में सॉलिटरी वेव्स की मौजूदगी पहले कभी नहीं बताई गई है।