सुप्रीम कोर्ट ने पैनल से सड़क सुरक्षा पर फ्रेमवर्क तैयार करने को कहा
सुप्रीम कोर्ट ने ने सड़क सुरक्षा पर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए 6 जनवरी 2023 को सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस ए.एम. सप्रे की अध्यक्षता वाली समिति को सड़क परिवहन सचिव के साथ बैठक करने और राज्यों में सड़क सुरक्षा की इलेक्ट्रॉनिक निगरानी और प्रवर्तन के लिए राज्य-विशिष्ट दिशानिर्देश तैयार करने के लिए एक रूपरेखा तैयार करने का निर्देश दिया है।
प्रमुख बिंदु और मुद्दे
- सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार किया कि तेज गति से वहां चलाना भारतीय सड़कों पर जानलेवा दुर्घटनाओं का मुख्य कारण है।
- भारत के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस बात पर सहमति व्यक्त की कि मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 136A को लागू करने के लिए तत्काल कदम उठाए जाने की आवश्यकता है। धारा 136A सड़क सुरक्षा की इलेक्ट्रॉनिक निगरानी और क्रियान्वयन ( electronic monitoring and enforcement of road safety) से संबंधित है।
- देश भर में राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों, सड़कों और शहरी सड़कों पर लापरवाह ड्राइवरों पर इलेक्ट्रॉनिक तरीके से नज़र रखने के लिए मोटर वाहन अधिनियम 2019 में प्रावधान जोड़ा गया था।
- केंद्र सरकार ने पहले ही धारा 136A की उप-धारा (2) के तहत नियम तैयार कर लिए हैं, जो केंद्र सरकार को “स्पीड कैमरा, क्लोज-सर्किट टेलीविजन कैमरा, स्पीड गन, बॉडी वियरेबल कैमरे सहित सड़क सुरक्षा की इलेक्ट्रॉनिक निगरानी और प्रवर्तन के लिए नियम बनाने के लिए अनिवार्य करता है।”
- धारा 215A और B ने राज्यों को इलेक्ट्रॉनिक रूप से निगरानी रखने और सलाहकार क्षमता के रूप में राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा बोर्ड के गठन का प्रावधान करता है। राष्ट्रीय, राज्य और जिला स्तरों पर भी सड़क सुरक्षा परिषदों को स्थापित किया जाना था।
- सुनवाई के दौरान “ब्लैक स्पॉट” या दुर्घटना-संभावित क्षेत्र जहां ड्राइवर की गलती के बिना दुर्घटनाएं होती है, पर भी प्रकाश डाला गया।