केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन को मंजूरी दी
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 4 जनरी 2023 को राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन (National Green Hydrogen Mission) को मंजूरी दे दी है। मिशन के लिए प्रारंभिक परिव्यय 19,744 करोड़ रुपये होगा, जिसमें साइट (SIGHT) कार्यक्रम के लिए 17,490 करोड़ रुपये, पायलट परियोजनाओं के लिए 1,466 करोड़ रुपये, अनुसंधान एवं विकास के लिए 400 करोड़ रुपये और अन्य मिशन घटकों के लिए 388 करोड़ रुपये शामिल हैं।
राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन: प्रमुख विषेताएं
नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) संबंधित घटकों के कार्यान्वयन के लिए योजना के दिशानिर्देश तैयार करेगा।
इस मिशन में निम्नलिखित शामिल हैं:
- देश में प्रति वर्ष कम से कम 5 MMT (मिलियन मीट्रिक टन) की ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन क्षमता का विकास और इससे जुड़े लगभग 125 गीगावाट की संबद्ध अक्षय ऊर्जा क्षमता में वृद्धि,
- 2030 तक आठ लाख करोड़ रुपये से अधिक का कुल निवेश,
- छह लाख से अधिक रोजगार के अवसर पैदा करना,
- कुल मिलाकर एक लाख करोड़ रुपये से अधिक मूल्य के जीवाश्म ईंधन के आयात में कमी,
- वर्ष 2030 तक वार्षिक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में लगभग 50 MMT की कमी।
- ग्रीन हाइड्रोजन ट्रांजिशन प्रोग्राम (Green Hydrogen Transition Programme: SIGHT) के लिए रणनीतिक क्रियाकलाप को लेकर, मिशन के तहत दो अलग-अलग वित्तीय प्रोत्साहन तंत्र- इलेक्ट्रोलाइजर के घरेलू निर्माण और ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन को लक्षित किया जाएगा।
- मिशन के तहत अनुसंधान एवं विकास (Strategic Hydrogen Innovation Partnership – SHIP) के लिए एक सार्वजनिक-निजी भागीदारी की सुविधा प्रदान की जाएगी।
मिशन के लाभ
केंद्र सरकार के मुताबिक राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन से कई प्रकार के लाभ प्राप्त होंगे, जैसे-
- ग्रीन हाइड्रोजन और इसके सहायक उत्पादों के लिए निर्यात के अवसर पैदा होंगे;
- औद्योगिक, आवागमन और ऊर्जा क्षेत्रों में कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी;
- आयातित जीवाश्म ईंधन और इसके फीडस्टॉक पर निर्भरता में कमी आएगी;
- स्वदेशी विनिर्माण क्षमताओं का विकास होगा;
- रोजगार के अवसर पैदा होंगे; और
- अत्याधुनिक तकनीकों का विकास होगा।