विद्युत मंत्रालय ने विद्युत (संशोधन) नियम, 2022 को अधिसूचित किया
केंद्रीय विद्युत मंत्रालय ने 29 दिसंबर को विद्युत (संशोधन) नियम, 2022 (Electricity (Amendment) Rules, 2022) को अधिसूचित किया। इन नियमों को विद्युत अधिनियम, 2003 की धारा 176 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए अधिसूचित किया गया।
विद्युत (संशोधन) नियम, 2022 की मुख्य विशेषताएं
सरकार ने नवीकरणीय ऊर्जा (RE) स्रोतों के एक केंद्रीय पूल के निर्माण को अनिवार्य कर दिया है, जिससे एक मध्यस्थ कंपनी बिजली की खरीद करेगी और एक समान टैरिफ पर राज्यों को बिजली की खुदरा आपूर्ति और वितरण में शामिल एंटिटी को आपूर्ति करेगी।
केंद्रीय पूल इंटर स्टेट ट्रांसमिशन सिस्टम (ISTS) से जुड़े RE स्रोतों जैसे सौर, पवन, हाइड्रो, बायोमास, जैव ईंधन और बायोगैस से प्राप्त बिजली का भंडार होगा।
एक मध्यस्थ खरीददार ( intermediary procurer) अक्षय ऊर्जा उत्पादक कंपनी और बिजली के अंतिम खरीदार के बीच एक संस्था होगी। मध्यस्थ खरीददार उत्पादन कंपनियों से बिजली खरीदेगा और इसे अंतिम खरीदार को फिर से बेचेगा। अंतिम खरीदार (end procurer) बिजली के वितरण और खुदरा आपूर्ति के लिए लाइसेंस प्राप्त कंपनी होगी।
मध्यस्थ खरीदार एक समान RE टैरिफ पर अंतिम खरीदार को बिजली की आपूर्ति करेगा, जिसकी गणना कार्यान्वयन एजेंसी द्वारा केंद्रीय पूल में नवीकरणीय ऊर्जा की प्रत्येक श्रेणी के लिए मासिक आधार पर अलग से तय की जाएगी। उदाहरण के लिए, सौर ऊर्जा केंद्रीय पूल और पवन ऊर्जा केंद्रीय पूल जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के प्रत्येक क्षेत्र के लिए एक अलग केंद्रीय पूल होगा।
समुचित राज्य आयोगों (Appropriate state commissions) को नियमों के प्रकाशन के 90 दिनों के भीतर, ईंधन की कीमत में भिन्नता, या बिजली खरीद लागत और इस तरह की भिन्नता के कारण लागत में प्रभाव के कारण लागत की वसूली के लिए प्राइस एडजस्टमेंट फार्मूला निर्धारित करना होगा। इन लागतों को स्वचालित रूप से मासिक आधार पर उपभोक्ता टैरिफ में बदल दिया जाएगा, और इस तरह के मासिक स्वत: समायोजन (automatic adjustments) को समुचित राज्य आयोगों द्वारा वार्षिक आधार पर सही किया जाएगा।
विवादों का समय पर समाधान करने का प्रावधान किया गया है। उक्त नियमों के तहत, राज्य आयोगों को याचिका प्राप्त होने की तारीख से 120 दिनों के भीतर अंतिम आदेश पारित करना होगा, जिसे 30 दिनों तक बढ़ाया जा सकता है लेकिन इसी देरी के लिए लिखित कारण दर्ज करने होंगे।