अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष (IYM)- 2023
भारत सरकार ने अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष (IYM: International Year of Millets)- 2023 के प्रस्ताव को प्रस्तुत किया था, जिसे संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) ने स्वीकार कर लिया।
सिंधु घाटी सभ्यता के दौरान मिलेट्स की खपत को लेकर कई साक्ष्य बताते हैं कि यह भारत में पैदा की जाने वाली पहली फसलों में से एक थी।
वर्तमान में 130 से अधिक देशों में मिलेट्स का उत्पादन किया जाता है।
इसे पूरे एशिया और अफ्रीका में 50 करोड़ से अधिक लोगों के लिए पारंपरिक भोजन माना जाता है। वहीं, भारत में मिलेट्स मुख्य रूप से एक खरीफ फसल है, जिसमें अन्य समान फसल की तुलना में कम जल और कृषि साधनों (इनपुट) की जरूरत होती है।
मिलेट्स आजीविका के अवसर पैदा करने, किसानों की आय बढ़ाने और पूरे विश्व में खाद्य व पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपनी बड़ी क्षमता को देखते हुए महत्वपूर्ण है।
अप्रैल, 2018 में मिलेट्स को “पौष्टिक अनाज” का दर्जा दिया गया था।
साल 2018 को राष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष के रूप में घोषित किया गया। इसका उद्देश्य बड़े पैमाने पर इसका प्रसार और मांग उत्पन्न करना था।
2021-2026 की पूर्वानुमान अवधि के दौरान वैश्विक बाजार में मिलेट्स की बढ़ोतरी की दर (चक्रवृद्धि दर) 4.5 फीसदी रहने का अनुमान है।