केंद्र ने कलसा-बंदूरी परियोजना की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट को मंजूरी दी

केंद्र सरकार ने 29 दिसंबर को अंतर्राज्यीय महादयी नदी बेसिन (Mahadayi river basin) में दशकों पुरानी केंद्र ने कलसा-बंदूरी (Kalasa­ Banduri) पेयजल परियोजना के कार्यान्वयन के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) को स्वीकार कर लिया है।

केंद्रीय जल आयोग (CWC) ने DPR को मंजूरी दे दी है, अब इसका कार्यान्वयन पर्यावरणीय मंजूरी और सर्वोच्च न्यायालय के अंतिम निर्णय सहित अन्य अनिवार्य मंजूरियों पर निर्भर है।

केंद्रीय जल आयोग के दिशा-निर्देशों के अनुसार, हाइड्रोलॉजी और अंतर-राज्यीय पहलुओं की यह मंजूरी, तटीय राज्यों- महाराष्ट्र, कर्नाटक और गोवा की विशेष अनुमति याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अधीन है।

कर्नाटक के अनुसार 1.72 टीएमसी पानी कलसा धारा से और 2.18 टीएमसी पानी बंदूरी धारा से मोड़ा जाएगा। दोनों धाराएं महादयी नदी की सहायक नदियां हैं। इससे कर्नाटक में पेयजल की समस्या दूर होगी। हालांकि महाराष्ट्र और गोवा इस परियोजना का विरोध कर रहा है।

महादयी नदी के बारे में

77 किलोमीटर लंबी महादयी नदी, जिसे गोवा में मांडवी नदी कहा जाता है, पश्चिम घाट में बेलगाम जिला (कर्नाटक) में भीमगढ से उत्पन्न होती है।

यह नदी 29 किलोमीटर कर्नाटक में तथा 52 किलोमीटर गोवा में बहती है। हालांकि मुख्य नदी महाराष्ट्र को स्पर्श नहीं करती है परंतु इसके जलग्रहण क्षेत्र में महाराष्ट्र का कुछ क्षेत्र भी आता है। इसलिए वह भी इस विवाद का हिस्सा है।

यह नदी अरब सागर में मिल जाती है।

कर्नाटक इस नदी की दो शाखाओं बंदूरी नदी व कलसा नदी पर दो बांध बनाकर इसके पानी को मोड़ना चाहती है जिसका गोवा विरोध करता रहा है।

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