भारत का चालू खाता घाटा GDP के 4.4% पर 9 साल के उच्च स्तर पर पहुंचा
सितंबर 2022 को समाप्त तिमाही में भारत के चालू खाते (Current Account) की शेष राशि में 36.4 बिलियन डॉलर (या GDP के नौ साल के उच्चतम 4.4%) का घाटा दर्ज किया गया। पिछली तिमाही में यह $18.2 बिलियन (2.2%) था।
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा 29 दिसंबर को जारी आंकड़ों के अनुसार, पिछले वर्ष की अवधि के लिए घाटा 9.7 बिलियन डॉलर (1.3%) था।
फरवरी 2022 के अंत में यूक्रेन पर रूस का आक्रमण की वजह से वैश्विक कमोडिटी की कीमतों में वृद्धि को देखते हुए भारत के चालू खाता में घाटा (Current account deficit) के बढ़ने की आशंका जताई जा रही थी परन्तु यह आंकड़ा चिंताजनक जरूर है।
वैश्विक कमोडिटी की कीमतों में वृद्धि के परिणामस्वरूप जुलाई-सितंबर में भारत का आयात बिल बढ़कर लगभग 200 बिलियन डॉलर हो गया।
इस बीच, सेवा व्यापार के मोर्चे पर, भारत में पिछली तिमाही में $34.4 बिलियन का अधिशेष था, जो जुलाई-सितंबर 2021 में $25.6 बिलियन से अधिक था।
चालू खाता घाटा (Current account deficit)
अंतराष्ट्रीय मुद्रा कोष के मुताबिक चालू खाते को वस्तुओं और सेवाओं के निर्यात के मूल्य और वस्तुओं और सेवाओं के आयात के मूल्य के बीच के अंतर के रूप में व्यक्त किया जा सकता है।
इस अंतर में घाटे का मतलब है कि कोई देश निर्यात की तुलना में अधिक वस्तुओं और सेवाओं का आयात कर रहा है।
वैसे चालू खाता में केवल आयात और निर्यात को ही नहीं शामिल किया जाता है बल्कि चालू खाते में शुद्ध आय (जैसे ब्याज और लाभांश) और विदेशों से ट्रांसफर (जैसे विदेशी सहायता) भी शामिल है, जो कुल में से आमतौर पर एक छोटा अंश होता है।