श्रीशैलम मंदिर विकास परियोजना का लोकार्पण
राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने 26 दिसंबर को आंध्र प्रदेश के कुरनूल में श्रीशैलम मंदिर (Srisailam Temple) परिसर में “आंध्र प्रदेश राज्य में श्रीशैलम मंदिर का विकास” परियोजना का उद्घाटन किया।
- परियोजना को पर्यटन मंत्रालय के विरासत संवर्धन अभियान के अंतर्गत ‘तीर्थयात्रा कायाकल्प और आध्यात्मिक, विरासत संवर्धन अभियान’ पर राष्ट्रीय मिशन (Pilgrimage Rejuvenation and Spiritual, Heritage Augmentation Drive: PRASHAD) के अंतर्गत स्वीकृत और तैयार किया गया था।
- “आंध्र प्रदेश राज्य में श्रीशैलम मंदिर का विकास” परियोजना 43.08 करोड़ रुपये की लागत से पूरी की गई है। यह परियोजना भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय द्वारा 100 प्रतिशत वित्त पोषित है।
PRASHAD योजना के बारे में
- तीर्थयात्रा कायाकल्प और आध्यात्मिक, विरासत संवर्धन अभियान पर राष्ट्रीय मिशन’ (PRASHAD) भारत सरकार द्वारा पूर्ण वित्तीय सहायता के साथ एक सेंट्रल सेक्टर की योजना है।
- यह योजना वर्ष 2014-15 में पर्यटन मंत्रालय द्वारा शुरू की गई है।
श्रीशैलम मंदिर: ज्योतिर्लिंग और महाशक्तिपीठ एक साथ
- श्रीशैलम श्री मल्लिकार्जुन स्वामी मंदिर (Srisailam Sri Mallikarjuna Swamy Temple) भगवान शिव और उनकी पत्नी देवी पार्वती को समर्पित है और भारत में एकमात्र मंदिर है जो शैववाद और शक्तिवाद दोनों के लिए महत्वपूर्ण है।
- लिंगम के आकार में प्राकृतिक पत्थर की संरचनाओं में प्रमुख देवता ब्रह्मरम्बा मल्लिकार्जुन स्वामी हैं।
- इस मंदिर को भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों (Jyotirlingas) में से एक और देवी पार्वती के 18 महाशक्ति पीठों (Maha Shakti Peethas) में से एक माना जाता है।
- भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों और शक्ति पीठों में से एक होने के अलावा, मंदिर को पाडल पेट्रा स्थलम (Paadal Petra Sthalam) में से एक के रूप में भी वर्गीकृत किया गया है।
- भगवान मल्लिकार्जुन स्वामी और देवी भ्रामराम्बा देवी की मूर्ति को ‘स्वयंभू’ या स्वयं प्रकट माना जाता है, और एक परिसर में ज्योतिर्लिंगम और महाशक्ति का अनूठा संयोजन आपनी तरह का इकलौता मंदिर है।
पाडल पेट्रा स्थलम
- पाडल पेट्रा स्थलम (Paadal Petra Sthalam) 275 ऐसे शिव मंदिर हैं जो नयनारों के तीवरम छंदों में प्रतिष्ठित हैं, जहां संबंदर, अप्पर और सुंदरर में से कम से कम एक ने कम से कम एक पूर्ण पथिगम गाया है।
- संबंदर, अप्पर और सुंदरर नयनार (शैव) संत थे।