IMF ने भारत के साथ ‘आर्टिकल IV कंसल्टेशन’ पूरा किया
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने 23 दिसंबर को रेखांकित किया कि अतिरिक्त मौद्रिक सख्ती को सावधानीपूर्वक विचार किया जाना चाहिए और ग्रोथ को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए।
IMF ने बढ़ती महंगाई पर भी चिंता जताई। भारत के लिए अनुच्छेद IV परामर्श (Article IV consultation) के समापन के बाद, IMF ने कहा, घरेलू स्तर पर बढ़ती मुद्रास्फीति, उपभोक्ता मांग को और कम कर सकती है और कमजोर समूहों को प्रभावित कर सकती है।
हालाँकि, व्यापक सुधारों के सफल कार्यान्वयन या डिजिटलीकरण में उल्लेखनीय प्रगति से अपेक्षा से अधिक लाभांश भारत की मध्यम अवधि की विकास क्षमता को बढ़ा सकते हैं।
क्या है अनुच्छेद IV परामर्श” (Article IV consultation)?
जब कोई देश अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) में शामिल होता है, तो वह अपनी आर्थिक और वित्तीय नीतियों को अंतरराष्ट्रीय समुदाय की जांच/निगरानी के लिए भी सहमत होता है।
IMF द्वारा सदस्य देशों की अर्थव्यवस्थाओं की नियमित निगरानी और नीतिगत सलाह के संबंधित प्रावधान का उद्देश्य उन कमजोरियों की पहचान करना है जो वित्तीय या आर्थिक अस्थिरता पैदा कर रही हैं या कर सकती हैं। इस प्रक्रिया को पर्यवेक्षण (surveillance) के रूप में जाना जाता है।
सर्विलांस एक सतत प्रक्रिया है जो सदस्य देशों के साथ नियमित (आमतौर पर वार्षिक) व्यापक परामर्श (Consultations) के साथ समाप्त होती है, जिसमें आवश्यकतानुसार चर्चा होती है। इस परामर्श/कंसल्टेशन को “अनुच्छेद IV परामर्श” (Article IV consultation) के रूप में जाना जाता है क्योंकि ये IMF के ‘अनुबंध की शर्तें’ (Articles of Agreement) के अनुच्छेद IV द्वारा आवश्यक हैं।
अनुच्छेद IV परामर्श के दौरान, IMF के अर्थशास्त्रियों की एक टीम आर्थिक और वित्तीय विकास का आकलन करने के लिए संबंधित देश का दौरा करती है और सरकार और केंद्रीय बैंक के अधिकारियों के साथ देश की आर्थिक और वित्तीय नीतियों पर चर्चा करती है।