क्या है DNA फिंगरप्रिंटिंग
हाल ही में श्रद्धा वाकर हत्याकांड की जांच के सिलसिले में महरौली वन क्षेत्र से बरामद हड्डियों का DNA परीक्षण कराया गया। दिल्ली पुलिस के मुताबिक इन हड्डियों के DNA श्रद्धा के पिता की DNA से मेल खाया है।
क्या है DNA फ़िंगरप्रिंटिंग?
DNA फ़िंगरप्रिंटिंग (DNA Fingerprinting) को पहली बार 1984 में यूके में एलेक जेफ़्रीज़ द्वारा विकसित किया गया था, जब जेफ़रीज़ ने पाया कि किन्हीं भी दो लोगों के DNA सीक्वेंस समान नहीं हो सकते।
इसके तीन वर्षों भीतर यूके में बलात्कार और हत्या के एक मामले में DNA साक्ष्य के आधार पर दुनिया की पहली सजा दिलाई गयी।
DNA डीऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड है। यह कोशिकाओं में मॉलिक्यूल है जो सभी जीवन की आनुवंशिक लक्षणों को निर्धारित करते हैं।
यह एक डबल हेलिक्स (एक साथ कुंडलित दो स्ट्रेन) का रूप ले लेता है। समान जुड़वा बच्चों को छोड़कर प्रत्येक व्यक्ति का DNA यूनिक होता है।
मानव कोशिकाओं में पिता से 23 गुणसूत्र ( DNA के पैकेट) और माता से 23 गुणसूत्र होते हैं। प्रत्येक DNA स्ट्रैंड में एक यूनिक सीक्वेंस या आनुवंशिक जानकारी का कोड होता है।
जहाँ अधिकांश DNA एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में केवल मामूली भिन्नता दिखाते हैं, लेकिन कुछ DNA अंशों में, जिन्हें ‘मिनीसैटेलाइट्स’ (रासायनिक बिल्डिंग ब्लॉकों के लघु सीक्वेंस) कहा जाता है, रिपीट यूनिट में भिन्नता दर्शाती है और यह प्रत्येक व्यक्ति में यूनिक होता है।
DNA फ़िंगरप्रिंटिंग एक ऐसी तकनीक है जो एक साथ एक व्यक्ति के लिए यूनिक पैटर्न का उत्पादन करने के लिए जीनोम में बहुत से मिनीसैटेलाइट्स का पता लगाती है। यही यूनिक पैटर्न DNA फिंगरप्रिंट है।
चयनित DNA सीक्वेंस (जिसे लोकी कहा जाता है) का विश्लेषण करके, एक अपराध प्रयोगशाला एक संदिग्ध की पहचान करने में उपयोग की जाने वाली प्रोफ़ाइल विकसित कर सकती है।
DNA को कई स्रोतों से निकाला जा सकता है, जैसे बाल, हड्डी, दांत, लार और रक्त। चूँकि मानव शरीर में अधिकांश कोशिकाओं में DNA होता है, यहाँ तक कि शारीरिक तरल पदार्थ या ऊतक की एक छोटी सी मात्रा भी उपयोगी जानकारी प्रदान कर सकती है।
यहां तक कि उपयोग किए गए कपड़े, लिनन, कंघे, या अक्सर उपयोग की जाने वाली अन्य वस्तुओं से भी नमूने निकाले जा सकते हैं।
भारत में, लालजी सिंह, जो कॉमनवेल्थ फेलोशिप पर 1974 से 1987 तक यूके में थे, ने हैदराबाद में सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी (CCMB) में अपराध जांच के लिए DNA फिंगरप्रिंटिंग विकसित की।
लालजी सिंह को “भारत में डीएनए फिंगरप्रिंटिंग के जनक” के रूप में जाना जाता है।
1989 में, केरल पुलिस द्वारा एक मामले में पहली बार DNA फिंगरप्रिंटिंग का उपयोग किया गया था।
2000 के दशक के बाद से, बलात्कार के मामलों में अपराधी की पुष्टि के लिए यह मुख्य तकनीक बन गई, जहां योनि स्वाब के नमूने संदिग्धों के वीर्य के नमूनों से मेल कराये जाते हैं।