नेशनल पॉलिसी ऑफ रेयर डिजीज (NPRD) का लाभ मरीजों तक नहीं पहुंचने पर चिंता जताई गयी
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की राज्यसभा सदस्य ने राष्ट्रीय दुर्लभ रोग नीति (National Policy of Rare Diseases: NPRD) के शुरू होने के कई महीनों बाद भी मरीजों तक नहीं पहुंचने पर चिंता जताई हैं।
चिंताएं
- सांसद ने आरोप लगाया कि नीति के अनुसार नामित सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस (CoE) की ओर से “अंतहीन देरी और गंभीरता की कमी” ने कई युवा जीवन समाप्त कर दिया है और 415 रोगियों, जिनमें दुर्लभ रोग से पीड़ित बड़े पैमाने पर बच्चें हैं, के बचने की संभावनाओं को खतरे में डाल दिया है।
- इन बीमारियों में लाइसोसोमल स्टोरेज डिसऑर्डर, गौचर रोग, पोम्पे रोग, एमपीएस 1 और 2 और फेब्री रोग शामिल हैं।
- नेशनल क्राउडफंडिंग प्लेटफॉर्म के डेटा के विश्लेषण से पता चला है कि लगभग 190 रोगियों को अल्ट्रारेअर जेनेटिक स्थितियों का पता चला है और उन्हें तुरंत जीवन रक्षक चिकित्सा की जरुरत है।
राष्ट्रीय दुर्लभ रोग नीति (National Policy of Rare Diseases: NPRD)
सरकार ने दुर्लभ बीमारी के रोगियों के इलाज के लिए मार्च, 2021 में दुर्लभ बीमारियों के लिए राष्ट्रीय नीति NPRD), 2021 लॉन्च की है।
NPRD, 2021 की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं:
- दुर्लभ रोगों की पहचान की गई है और उन्हें 3 समूहों अर्थात् समूह 1, समूह 2 और समूह 3 में वर्गीकृत किया गया है।
- समूह 1: ऐसे दुर्लभ रोग जिनका इलाज एक बार के उपचार से हो जाता है।
- समूह-2: लंबी अवधि/आजीवन उपचार की आवश्यकता वाले रोग जिनके उपचार पर अपेक्षाकृत कम लागत आती है और वार्षिक या अधिक लगातार निगरानी की आवश्यकता पड़ती है।
- समूह 3: – ऐसे रोग जिनके लिए निश्चित उपचार तो उपलब्ध है, लेकिन उपयुक्त रोगी का चयन करना चुनौती है, साथ ही उपचार की लगत बहुत अधिक है और आजीवन चिकित्सा की जरुरत पड़ती है।
- राष्ट्रीय आरोग्य निधि की अंब्रेला योजना के बाहर NPRD-2021 में उल्लिखित किसी भी दुर्लभ रोग के किसी भी श्रेणी से पीड़ित रोगियों और किसी भी सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (सीओई) में इलाज के लिए 50 लाख रुपये तक की वित्तीय सहायता का प्रावधान किया गया है।
- दुर्लभ रोग के इलाज के लिए वित्तीय सहायता प्राप्त करने के लिए, आस-पास के क्षेत्र के रोगी अपना आकलन करने और लाभ प्राप्त करने के लिए निकटतम उत्कृष्टता केंद्र से संपर्क कर सकते हैं।
- आनुवंशिक परीक्षण और परामर्श सेवाओं के लिए पांच निदान केंद्र स्थापित किए गए हैं।
सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस (CoE)
- दुर्लभ रोगों से पीड़ित रोगियों के इलाज और देखभाल की सुविधा प्रदान करने के लिए, आठ (08) उत्कृष्टता केंद्र अधिसूचित किए गए हैं, जो दुर्लभ बीमारियों के निदान, रोकथाम और उपचार की सुविधाओं के साथ प्रमुख सरकारी तृतीयक अस्पताल हैं।
क्या है दुर्लभ रोग?
- विश्व स्वास्थ्य संगठन ऐसी बिमारियों को रेयर डीजीज के रूप में परिभाषित करता है जिसके रोगियों की संख्या प्रति 1000 जनसंख्या पर 1 या उससे कम है और इससे पीड़ित व्यक्ति को आजीवन बीमारी या विकार ग्रसित बना देता है।
- हालाँकि, विभिन्न देशों की अपनी विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुरूप और अपनी जनसंख्या, स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली और संसाधनों के आधार पर इसकी परिभाषा तय की है।