भारत और चीनी सेनाओं के बीच झड़प: तवांग व यांग्त्से चोटी की महत्ता
13 दिसंबर, 2022 को संसद के दोनों सदनों में रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह अपने बयान में 9 दिसंबर, 2022 को अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में लाइन ऑफ़ एक्चुअल कण्ट्रोल पर भारत और चीनी सेना के बीच झड़प की घटना का उल्लेख किया।
रक्षा मंत्री के अनुसार 9 दिसंबर, 2022 को पीपल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) सैनिकों ने तवांग सेक्टर के यांग्त्से क्षेत्र (Yangtse area) में वास्तविक नियंत्रण रेखा का अतिक्रमण करने और एकतरफा तरीके से यथास्थिति को बदलने का प्रयास किया। भारतीय सैनिकों ने दृढ़ता और संकल्प के साथ चीन के प्रयास का विरोध किया। फलस्वरूप आमने-सामने की हाथापाई हुई जिसमें भारतीय सेना ने बहादुरी से हमारे क्षेत्र में उन्हें अतिक्रमण करने से रोका और अपनी चौकियों पर लौटने के लिए बाध्य किया। इस झड़प में दोनों ओर के कुछ सैनिकों को चोटें आई हैं।
रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत की कोई हताहत या गंभीर रूप से हताहत नहीं हुआ है। उन्होंने यह भी कहा कि घटना की फोलोअप कार्रवाई के रूप में क्षेत्र में स्थानीय कमांडर ने अपने समकक्ष के साथ इस विषय पर स्थापित व्यवस्था के अनुसार चर्चा करने के लिए 11 दिसंबर, 2022 को फ्लैग मीटिंग की।
तवांग सेक्टर-यांग्त्से
अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में यांग्त्से को चीनी पीएलए सैनिकों द्वारा बार-बार निशाना बनाया जाता रहा है और भारतीय सैनिकों को सहूलियत वाले स्थानों से हटाने की कोशिश की जाती रही है।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक लगभग 14 महीने पहले, जब भारत और चीन पूर्वी लद्दाख में गतिरोध को हल करने के लिए 13वें दौर की सैन्य वार्ता आयोजित करने की तैयारी कर रहे थे, उनके सैनिकों ने पीछे हटने से पहले यांग्त्से क्षेत्र में एक-दूसरे से धक्का-मुक्की की थी।
तवांग सेक्टर में भारतीय सैनिकों का दबदबा है और वे चीनी गश्ती दल पर निगरानी रख सकते हैं। जब भी किसी तरह की हलचल होती है, भारतीय सैनिक फेसऑफ़ के लिए आगे बढ़ते हैं। यांग्त्से दोनों देशों के बीच 3488 किलोमीटर की वास्तविक नियंत्रण रेखा के साथ 25 विवादित क्षेत्रों में से एक है।
तवांग (Tawang) छठे दलाई लामा का जन्म स्थान है और तिब्बती बौद्धों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है।
1959 में तिब्बत से भारत आने के बाद 14वें दलाई लामा ने तवांग में शरण ली और आगे बढ़ने से पहले कुछ दिन मठ में बिताए।
यह जिला अरुणाचल प्रदेश के पश्चिमी भाग में स्थित है। इस जिले का क्षेत्रफल लगभग 2,172 वर्ग किलोमीटर है, जो उत्तर में तिब्बत (चीन) , दक्षिण-पश्चिम में भूटान से घिरा है और पूर्व में सेला पर्वतमाला इसे वेस्ट कामेंग जिले से अलग करता है। इस जिला सभी निवासी मोनपा जनजाति के हैं। लोसर और तोरग्या मोनपा के दो प्रमुख धार्मिक त्योहार हैं।