अमेरिकी ऊर्जा विभाग ने नाभिकीय संलयन ऊर्जा उत्पादन में बड़ी सफलता की घोषणा की
अमेरिकी ऊर्जा विभाग ने 12 दिसंबर को नाभिकीय संलयन (nuclear fusion) के लिए चल रहे शोध में एक सफलता की घोषणा की है , जो असीमित शून्य-उत्सर्जन वाली ऊर्जा के स्रोत की दिशा में एक बड़ा कदम कहा जा सकता है।
क्यों है यह बड़ी उपलब्धि?
दरअसल 5 दिसंबर 2022 को एक प्रयोग में, कैलिफोर्निया में स्थित लॉरेंस लिवरमोर नेशनल लेबोरेटरी की नेशनल इग्निशन फैसिलिटी (NIF: National Ignition Facility) फ्यूजन रिएक्टर ने 2.05 मेगाजूल के लेजर पावर आउटपुट से 3.15 मेगाजूल का पावर आउटपुट उत्पन्न किया – जो लगभग 150 प्रतिशत का लाभ प्रदान करता है।
पहली बार ऐसा हुआ है कि एक नियंत्रित नाभिकीय संलयन रिएक्शन के संचालन के लिए जितनी ऊर्जा उपयोग की गयी, उससे कहीं अधिक ऊर्जा का उत्पादन किया गया।
इससे पहले नाभिकीय संलयन में एक्सपेरिमेंट में जितना ऊर्जा का उत्पादन किया जाता था, उससे अधिक ऊर्जा की आवश्यकता रिएक्टर को चलाने के लिए होती थी।
इस तरह नाभिकीय संलयन से ऊर्जा उत्पादन अब सम्भव दीखता है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि दक्षता बढ़ाने और लागत कम करने के लिए अभी भी एक विशाल इंजीनियरिंग प्रयास की आवश्यकता है।
नाभिकीय संलयन में ऊर्जा उत्पादन के लिए दो तरीके उपलब्ध
बता दें कि व्यावहारिक तौर पर नाभिकीय संलयन में ऊर्जा उत्पादन के लिए दो तरीके उपलब्ध हैं:
- प्रथम तरीके में, प्लाज्मा को समाहित करने के लिए चुंबकीय क्षेत्र का उपयोग किया जाता है,
- जबकि दूसरे तरीके में लेज़र का उपयोग करता है।
अमेरिका की नेशनल इग्निशन फैसिलिटी ने दूसरे तरीके का उपयोग किया, जिसे जड़त्वीय बंधन संलयन (inertial confinement fusion: ICF) के रूप में जाना जाता है, जहां हाइड्रोजन ईंधन युक्त एक छोटे कैप्सूल को लेजर से विस्फोट किया जाता है, जिससे यह गर्म हो जाता है और तेजी से फैलता है।
यह ईंधन को कंप्रेस्ड करते हुए एक समान और प्रतिकूल रिएक्शन बनाता है। हाइड्रोजन परमाणुओं के नाभिक फिर आपस में जुड़कर भारी तत्व बनाते हैं और उनका कुछ द्रव्यमान ऊर्जा के रूप में मुक्त होता है – ठीक वैसे ही जैसे यह सूर्य में होता है।
अन्य संलयन संयंत्र
अब तक, सभी संलयन प्रयोगों में जितना ऊर्जा उत्पादन हुआ था, उससे कहीं अधिक ऊर्जा इनपुट की आवश्यकता पड़ी थी।
अधिकांश संलयन, वर्तमान में प्लाज्मा को समाहित करने के लिए चुंबकीय बंधन के तरीके के इस्तेमाल करता रहा है, विशेष रूप से एक रिएक्टर डिज़ाइन में जिसे टोकामक कहा जाता है।
ऑक्सफ़ोर्ड, यूके के पास जॉइंट यूरोपीय टोरस (JET) रिएक्टर ने 1983 में काम करना शुरू किया। इस वर्ष की शुरुआत में, JET ने 5 सेकंड के लिए एक रिएक्शन को बनाए रखा, जिससे रिकॉर्ड 59 मेगाजूल ऊष्मा ऊर्जा का उत्पादन हुआ।
फ्रांस में स्थित इंटरनेशनल थर्मोन्यूक्लियर एक्सपेरिमेंटल रिएक्टर (ITER) पूरा होने वाला है और इसके पहले प्रयोग 2025 में शुरू होने वाले हैं।
इसी डिज़ाइन का उपयोग करने वाला एक अन्य रिएक्टर, कोरिया सुपरकंडक्टिंग टोकामक एडवांस्ड रिसर्च (KSTAR) डिवाइस है जिसने हाल ही में 100 मिलियन डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान पर 30 सेकंड के लिए रिएक्शन बनाए रखने में कामयाब रहा।
नाभिकीय संलयन (nuclear fusion) और इसके लाभ
नाभिकीय संलयन (nuclear fusion) दो या दो से अधिक परमाणुओं को एक बड़े परमाणु में मिलाने की प्रक्रिया है। यह एक ऐसी प्रक्रिया है जो गर्मी के रूप में संभावित रूप से उपयोग करने योग्य ऊर्जा को उसी तरह से मुक्त करती है, जिस तरह सूर्य पृथ्वी को गर्म करता है।
आज उपयोग की जाने वाली परमाणु ऊर्जा एक अलग प्रक्रिया द्वारा उत्पन्न की जाती है, जिसे विखंडन (fission) कहा जाता है, जो परमाणुओं को विभाजित करके उत्पादित ऊर्जा का उपयोग करती है। हालांकि यह रेडियोधर्मी कचरे का उत्पादन भी करती है जो खतरनाक है।
दूसरी ओर नाभिकीय संलयन ऊर्जा भरपूर मात्रा में क्लीन एनर्जी उत्पादन की संभावना को बढ़ाती है: इस रिएक्शन में कोई ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जित नहीं होती हैं और न ही रेडियोधर्मी अपशिष्ट उत्पादन होता है।
एक किलोग्राम संलयन ईंधन, जो ड्यूटेरियम और ट्रिटियम नामक हाइड्रोजन के भारी रूपों से बना होता है, 10m किलोग्राम जीवाश्म ईंधन जितनी ऊर्जा प्रदान करता है। लेकिन इस मुकाम तक पहुंचने में 70 साल लग गए।