‘स्वच्छ गंगा’ के साथ अब ‘अर्थ गंगा’ के तहत संरक्षण, पर्यटन, आजीविका पर बल दिया जा रहा है
राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (NMCG) के महानिदेशक ने अर्थ गंगा के तहत ‘समुदाय और स्थानीय संसाधनों का लाभ उठाने के लिए प्रौद्योगिकी पर आधारित क्षमता निर्माण कार्यक्रम’ (Capacity Building Programme for Leveraging Community and Local Resources Based on Technology) पर परियोजना की शुरुआत की।
परियोजना की मुख्य विशेषताएं
- यह परियोजना संयुक्त रूप से NMCG और हिमालयी पर्यावरण अध्ययन और संरक्षण संगठन ( HESCO) के द्वारा कार्यान्वित की जा रही है।
- इस कार्यक्रम का उद्देश्य अर्थ गंगा परियोजना के तहत गंगा नदी के किनारे स्थित स्थानीय समुदाय के बीच भविष्य के लिए नई जरूरत– आधारित कौशल विकसित करना और समुदाय के सदस्यों को वैकल्पिक समाधान प्रदान करना है।
- यह कार्यक्रम अर्थ गंगा के तहत समुदाय के सदस्यों को वैकल्पिक समाधान प्रदान करने के लिए है ।
- एनएमसीजी गंगा आरती और गंगा सेवक के लिए स्थानीय लोगों को प्रशिक्षण देने पर भी काम कर रहा है।
- अर्थ गंगा के तहत लक्षित क्षेत्रों में से एक किसानों के बीच प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना रहा है।
- नमामि गंगे और अर्थ गंगा के तहत NMCG गंगा से जुड़े उत्पादों को ब्रांड के तौर पर बाजार में उतारने की तैयारी कर रहा है।
- लोगों को जिम्मेदार पर्यटन और इकोसिस्टम के संरक्षण के लिए प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।
- इस परियोजना में अर्थ गंगा केंद्र (AGAC) और तीन गंगा संसाधन केंद्र (GRC) स्थापित करने की भी परिकल्पना की गई है।
- गंगा बेसिन में पारंपरिक ट्रेक (दुर्गम पद यात्रा) मार्गों के लिए पर्यटन गाइड तैयार किए जाएंगे।
- आजीविका सृजन के अवसर जैसे ‘घाट में हाट ‘, स्थानीय उत्पादों का संवर्धन, आयुर्वेद, चिकित्सकीय पौधे, गंगा प्रहरियों, गंगा दूतों जैसे स्वयंसेवकों का क्षमता निर्माण पर बल दिया जा रहा है।
उद्देश्य:
- अब तक नमामि गंगे, गंगा नदी के प्रदूषण को कम करने के लिए सीवरेज इंफ्रास्ट्रक्चर के पर्याप्त निर्माण पर अथक रूप से काम कर रहा है।
- NMCG की प्राथमिकता गंगा और उसकी सहायक नदियों में प्रदूषित जल को गिरने से रोकना है और वह इन लक्ष्यों को सफलतापूर्वक प्राप्त कर रहा है। अब तक लगभग 973 मिलियन लीटर प्रति दिन (एमएलडी) की सीवेज शोधन क्षमता सृजित की जा चुकी है।
- नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत सीवरेज प्रबंधन और अन्य गतिविधियों के अलावा अब ध्यान अर्थ गंगा पर है, जिसका 2019 में आयोजित राष्ट्रीय गंगा परिषद की पहली बैठक में प्रधानमंत्री ने अनुमोदन किया था। मुख्य रूप से अर्थ गंगा अर्थव्यवस्था के जरिए नदी से लोगों को जोड़ना है।