मल्टी-स्टेट को-ऑपरेटिव सोसाइटी (संशोधन) विधेयक, 2022 लोकसभा में पेश किया गया

को-ऑपरेटिव क्षेत्र में पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से मल्टी-स्टेट को-ऑपरेटिव सोसाइटीज अधिनियम में संशोधन के लिए एक विधेयक 7 दिसंबर को लोकसभा में पेश किया गया।

बहु-राज्य सहकारी समिति (संशोधन) विधेयक, 2022 (Multi-­State Cooperative Societies (Amendment) Bill, 2022,) को केंद्रीय मंत्री द्वारा पेश किया गया।

बहु-राज्य सहकारी समिति (संशोधन) विधेयक, 2022: प्रमुख प्रावधान

यह विधेयक मल्टी-स्टेट को-ऑपरेटिव की शासी संरचना को मजबूत करने, इसकीचुनावी प्रक्रिया में सुधार करने, निगरानी तंत्र में सुधार करने और मल्टी-स्टेट को-ऑपरेटिव सोसाइटीज में इज ऑफ डूइंग बिजनेस सुनिश्चित करने का प्रयास करता है।

इसका उद्देश्य मल्टी-स्टेट को-ऑपरेटिव सोसाइटीज में फंड जुटाने को सक्षम करने के अलावा इसके बोर्डों की संरचना में सुधार करना और वित्तीय अनुशासन सुनिश्चित करना भी है।

यह विधेयक सहकारी क्षेत्र में “चुनावी सुधार” लाने के लिए “सहकारी चुनाव प्राधिकरण” (cooperative election authority) स्थापित करने का भी प्रयास करता है। इसके लिए, सरकार ने 2002 के मल्टी-स्टेट को-ऑपरेटिव सोसाइटीज अधिनियम की धारा 45 को प्रतिस्थापित करने का प्रस्ताव दिया है।

प्रस्तावित संशोधन के अनुसार, प्राधिकरण में एक अध्यक्ष, एक उपाध्यक्ष और केंद्र द्वारा नियुक्त किए जाने वाले अधिकतम तीन सदस्य होंगे।

यह बिल मूल अधिनियम में एक नई धारा – 63A – जोड़ेगा। यह “बीमार बहु-राज्य सहकारी समितियों” के पुनरुद्धार के लिए “सहकारी पुनर्वास, पुनर्निर्माण और विकास निधि की स्थापना” (Cooperative Rehabilitation, Reconstruction and Development Fund) से संबंधित है।

यह ऐसी बहु-राज्य सोसायटियों की “समवर्ती ऑडिट” से संबंधित एक नई धारा – 70A – भी जोड़ेगा जिसका वार्षिक कारोबार या जमा धनराशि केंद्र द्वारा निर्धारित राशि से अधिक है।

सरकार ने “शिकायत निवारण” से संबंधित एक नया अध्याय IX-A सम्मिलित करने का प्रस्ताव किया है। यह सदस्यों की शिकायतों की जांच करने के लिए क्षेत्राधिकार के साथ एक या अधिक “सहकारी लोकपाल” (cooperative ombudsman) नियुक्त करने का प्रस्ताव करता है। इसके लिए कानून में नई धारा 85 जोड़ी जाएगी।

सरकार ने कानून के प्रावधानों का उल्लंघन करने के लिए बहु-राज्य सहकारी समितियों पर मौद्रिक दंड को अधिकतम 1 लाख रुपये तक बढ़ाने के लिए मौजूदा अधिनियम की धारा 104 में संशोधन करने का भी प्रस्ताव किया है। प्रस्तावित संशोधनों में कारावास की अवधि को वर्तमान में अधिकतम छह माह से बढ़ाकर एक वर्ष तक करने का भी प्रस्ताव किया गया है।

वर्तमान में, भारत में लगभग 800,000 सहकारी समितियाँ हैं जिनमें से लगभग 1,600 मल्टी-स्टेट को-ऑपरेटिव सोसाइटीज हैं। ये एक से अधिक राज्यों में सदस्यों के हितों की सेवा करते हैं। इनमें इफको, कृभको और नेफेड जैसे कुछ बड़े ल्टी-स्टेट को-ऑपरेटिव सोसाइटीज शामिल हैं।

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