जल सांझी कला
हाल में उदयपुर में भारत की G-20 अध्यक्षता की पहली शेरपा बैठक (1st Sherpa Meeting of India’s G20 Presidency) के दौरान जल सांझी कलाकार श्री राजेश वैष्णव ने इस कला का एक सुंदर नमूना पेश किया था।
जल सांझी कला रूप (Jal Sanjhi art form) राजस्थान के उदपुर की एक असाधारण 300 वर्ष पुरानी दुर्लभ कला है।
इस कला रूप में कैनवास कोई कपड़ा या कागज नहीं होता, बल्कि जल होता है। आश्विन की अमावस्या से पंद्रह दिनों तक सांझी बनाई जाती है लेकिन भाद्र पूर्णिमा के एक दिन पहले ही इसकी तैयारी शुरू हो जाती है।
एक किंवदंती के अनुसार, इन पेंटिंग्स की उत्पत्ति तब हुई जब एक तालाब में ‘राधा’ द्वारा भगवान कृष्ण की छवि को पानी में देखा गया था, और भगवान की तस्वीर बनाने के लिए छवि को फूलों से रेखांकित किया गया था। तब से यह सांझी के रूप में विकसित हुआ है जो जल पर सचित्र चित्रण के रूप में भगवान कृष्ण की ‘लीला’ का सम्मान करने के लिए बनाया जाता है।