फुजिवारा प्रभाव क्या है?
जब एक ही क्षेत्र में दो महासागरीय टाइफून/तूफान बनते हैं, तब उनके विंड सर्कुलेशन मध्य और उच्च स्तरों पर एक दूसरे से टकराने लगते हैं। दो तूफानों के घूर्णन करती वायु का यह मिलन दोनों तूफानों के बीच एक जोड़ने वाले अंग की तरह एक बंधन बना देता है जिससे वे एक-दूसरे को प्रभावित करने लगते हैं। इसी को फुजिवारा प्रभाव (Fujiwhara Effect) कहा जाता है।
फुजिवारा प्रभाव एक ही महासागर क्षेत्र में एक ही समय के आसपास उत्पन्न होने वाले उष्णकटिबंधीय तूफानों के बीच 1,400 किमी से कम की दूरी पर इन दोनों चक्रवात केंद्रों या चक्रवात आंखों के बीच का इंटरेक्शन है।
1 सितंबर, 2022 को शक्तिशाली उष्णकटिबंधीय चक्रवात, सुपर टाइफून हिनामनोर (Hinnamnor), पश्चिमी प्रशांत महासागर से ताइवान की ओर बढ़ रहा था। वहीं गार्डो (Gardo) नामक एक अन्य उष्णकटिबंधीय तूफान अपने दक्षिण-पूर्व से हिनामनोर की ओर बढ़ रहा था। जैसे ही दोनों टाइफून एक-दूसरे के पास पहुंचे, उन्होंने बीच की केंद्रीय रेखा के चारों ओर घूर्णन शुरू किया। यह फुजिवारा प्रभाव का नवीनतम उदाहरण है।
बता दें कि चक्रवात को विश्व के विभिन्न भागों में भिन्न-भिन्न नाम से जाना जाता है। अमेरिकी महाद्वीप में इसे हरिकेन कहते हैं। फिलीपीन्स और जापान में यह टाइफून कहलाता है। हिंद महासागर में चक्रवात या साइक्लोन कहलाता है।
चक्रवात की आँख
किसी चक्रवात का केंद्र एक शांत क्षेत्र होता है। इसे झंझा की आँख कहते हैं। कोई विशाल चक्रवात वायुमंडल में वायु का तेजी से घूर्णन करता पिंड होता है, जो पृथ्वी तल से 10 से 15 किलोमीटर की ऊँचाई पर स्थित होता है।
चक्रवात की आँख बादलों से मुक्त क्षेत्र होता है और इसमें पवन का वेग न्यून होता है।
इस शांत और स्पष्ट आंख के इर्दगिर्द लगभग 150 किलोमीटर व्यास का बादल का क्षेत्र होता है। इस क्षेत्रा में उच्च वेग की पवन और सघन वर्षा वाले घने बादल होते हैं।
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