न्यायालय में बंद कमरे में सुनवाई (In-camera proceedings): मुख्य प्रावधान

सुप्रीम कोर्ट ने 28 नवंबर को तहलका पत्रिका के पूर्व संपादक तरुण तेजपाल की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें अपने खिलाफ बलात्कार के एक मामले की ‘बंद कमरे में सुनवाई’ (in-camera hearing) की मांग की गई थी।

तेजपाल पर नवंबर 2013 में गोवा में अपने तत्कालीन सहकर्मी का यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाया गया था। बंद कमरे में सुनवाई के बाद, अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश क्षमा जोशी ने उन्हें 21 मई, 2021 को सभी आरोपों से बरी कर दिया था। हालांकि गोवा राज्य सरकार ने इस निर्णय के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील की है जहां सुनवाई चल रही है।

बंद कमरे में कार्यवाही (In-camera proceedings)

बता दें कि खुली अदालती कार्यवाही (open court proceedings) के विपरीत, बंद कमरे में कार्यवाही (In-camera proceedings) निजी होती है। शामिल पक्षों की सुरक्षा और गोपनीयता सुनिश्चित करने के लिए संवेदनशील मामलों में अदालत के विवेक के अनुसार, कार्यवाही आमतौर पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग या बंद कक्षों में आयोजित की जाती है, जिससे जनता और प्रेस को बाहर रखा जाता है।

दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 327 में उन मामलों के बारे में विस्तार से बताया गया है जिन्हें कैमरे पर रिकॉर्ड किया जाना चाहिए, जिसमें बलात्कार के मामले में जांच और परीक्षण शामिल है।

उक्त धारा में कहा गया है कि यदि पीठासीन न्यायाधीश या मजिस्ट्रेट उचित समझे तो वह कार्यवाही के किसी भी स्तर पर यह आदेश दे सकती है कि आम तौर पर जनता या कोई विशेष व्यक्ति अदालत कक्ष या अदालत भवन में उपस्थित नहीं रहेगा।

उक्त प्रावधान कहता है कि भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (बलात्कार) के तहत दंडनीय विभिन्न अपराधों के लिए जांच और परीक्षण बंद कमरे में आयोजित किया जाना चाहिए; या बलात्कार सहित अपराध जो पीड़ित को कोमा या मृत्यु की ओर ले जा सकते हैं; 12 साल से कम उम्र की महिला का बलात्कार; अलगाव के दौरान पत्नी के साथ संभोग; लोक सेवक द्वारा अपनी कस्टडी में महिला के साथ संभोग; अथॉरिटी वाले व्यक्ति द्वारा संभोग; और वयस्क तथा नाबालिग महिलाओं का सामूहिक बलात्कार।

कानून यह भी निर्धारित करता है कि ऐसे मामलों में, जहाँ तक संभव हो सुनवाई महिला न्यायाधीश या मजिस्ट्रेट द्वारा की जानी चाहिए।

CrPC की धारा 327 में कहा गया है कि केस से जुड़े व्यक्तियों के नाम और पते की गोपनीयता बनाए रखने के लिए अदालत की पूर्व अनुमति के बिना इन-कैमरा कार्यवाही पर सुनवाई को प्रकाशित करना वैध नहीं होगा

इसमें यह भी कहा गया है कि बलात्कार से जुड़े अपराध के लिए मुकदमे की कार्यवाही के प्रकाशन पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है।

तलाक की अर्जी लंबित रहने की अवधि में न्यायिक तौर पर अलग- अलग-अलग रह रहे पति-पत्नी, तलाक की कार्यवाही, नपुंसकता तथा वैवाहिक विवादों के मामलों में आमतौर पर पारिवारिक अदालतों में बंद कमरे में सुनवाई की जाती है।

आतंकवादी गतिविधियों के गवाहों के बयान दर्ज के दौरान बंद कमरे में कार्यवाही भी अदालत के विवेक के अनुसार की जाती है, ताकि उसकी रक्षा की जा सके और राष्ट्रीय सुरक्षा को बनाए रखा जा सके।

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