किरीट पारिख पैनल ने प्राकृतिक गैस प्राइसिंग पर सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी
सरकार द्वारा गठित किरीट पारिख पैनल ने प्राकृतिक गैस प्राइसिंग (pricing for natural gas) पर सरकार को अपनी रिपोर्ट 30 नवंबर 2022 को सौंप दी है।
रिपोर्ट में की गईं प्रमुख सिफारिशें
- इसने लिगेसी गैस फील्ड (पुराने क्षेत्रों) से निकाली गई प्राकृतिक गैस के लिए नियंत्रण मुक्त और बाजार-निर्धारित मूल्य निर्धारण की सिफारिश की है और 1 जनवरी, 2027 तक सभी प्राइस कैप को हटाने की सिफारिश की है।
- तब तक, ऑयल इंडिया (OIL) और ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉरपोरेशन (ONGC) द्वारा गैस उत्पादन की लागत को कवर करने के लिए $4 प्रति MMBtu (मीट्रिक मिलियन ब्रिटिश थर्मल यूनिट) का न्यूनतम मूल्य रखा जाना चाहिए।
- अधिकतम मूल्य 6.5 डॉलर प्रति MMBtu होना चाहिए, जिसे 2027 तक सालाना लगभग 0.5 डॉलर प्रति MMBtu बढ़ाया जा सकता है।
- RIL के KG-D6 और BP PLC जैसे कठिन क्षेत्रों के लिए मौजूदा मूल्य निर्धारण फार्मूले के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिए। रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड और उसके संयुक्त उद्यम भागीदार BP PLC के कृष्णा गोदावरी ब्लॉक डी6 (केजी-डी6) क्षेत्र कठिन क्षेत्रों के लिए मूल्य निर्धारण फार्मूला द्वारा शासित हैं।
- केंद्र द्वारा लगाए गए उत्पाद शुल्क और राज्य सरकारों द्वारा लगाए गए वैट की अलग-अलग दरों को समाहित करते हुए प्राकृतिक गैस को GST की एक राष्ट्र एक कर व्यवस्था में शामिल किया जाना चाहिए।
वर्तमान मूल्य निर्धारण प्रणाली
- नेचुरल गैस की मौजूदा प्राइसिंग मेकैनिज्म के तहत, सरकार ONGC और OIL के पुराने क्षेत्रों से उत्पादित गैस की कीमतें तय करती है जिसे प्रशासित मूल्य निर्धारण तंत्र (Administered Pricing Mechanism: APM) भी कहा जाता है। इस तरह के क्षेत्र लगभग 91 बिलियन क्यूबिक मीटर के वार्षिक गैस उत्पादन का लगभग 80 प्रतिशत हिस्सा हैं।
- गैस की कीमतों की समीक्षा हर छह महीने – 1 अप्रैल और 1 अक्टूबर – एक तिमाही के अंतराल के साथ अमेरिका, कनाडा और रूस जैसे गैस अधिशेष देशों में कीमतों के आधार पर की जाती है।
किरीट पारिख पैनल की सिफारिशों के फ़ायदे
- सिफारिशों को लागू करने से घरेलू उपभोक्ताओं पर मुद्रास्फीति के दबाव को कम करने में मदद मिलेगी।
- ये सिफारिशें भारत के ऊर्जा मिश्रण में गैस की हिस्सेदारी को वर्तमान में लगभग 6.4 प्रतिशत से बढ़ाकर 2030 तक 15 प्रतिशत करने के सरकार के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करेंगी। साथ ही घरेलू स्तर पर इस्तेमाल होने वाली करीब 50 फीसदी प्राकृतिक गैस का आयात किया जाता है।
- कठिन क्षेत्रों से घरेलू गैस के स्वतंत्र मूल्य निर्धारण से अपस्ट्रीम कंपनियों से बड़ा निवेश आकर्षित होगा जिससे दीर्घावधि में घरेलू गैस उत्पादन में वृद्धि हो सकती है।
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