भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) को प्रवर्तन निदेशालय (ED) के साथ जानकारी साझा करनी होगी

भारत सरकार ने भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) को उन एजेंसियों की सूची में शामिल कर लिया है जिन्हें धन शोधन निवारण अधिनियम (Prevention of Money Laundering Act: PMLA Act) के तहत प्रवर्तन निदेशालय (ED) के साथ जानकारी साझा करनी है।

केंद्र ने 22 नवंबर, 2022 की एक अधिसूचना में कहा कि जनहित में PMLA की धारा 66 के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए सूची में संशोधन किया गया है।

CCI के अलावा, वित्त मंत्रालय ने PMLA के तहत ED के साथ सूचना साझा करने के लिए बाध्य 14 अन्य संस्थाओं को भी जोड़ा है। सूची में शामिल एजेंसियों में राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (NIA), गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (SFIO), राज्य पुलिस, विदेश व्यापार महानिदेशक (DGFT), विदेश मंत्रालय (एमईए), राष्ट्रीय खुफिया ग्रिड, केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC), डिफेंस इंटेलिजेंस एजेंसी, नेशनल टेक्निकल रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (NTRO), मिलिट्री इंटेलिजेंस और वाइल्डलाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो शामिल हैं।

अधिनियम की धारा 66 के तहत, यदि जांच ED के अधिकार क्षेत्र में आती है, तो 15 संस्थाएं इसके साथ मामले की जानकारी साझा करने के लिए बाध्य हैं। जानकारी के आधार पर ED अगर उचित समझे तो PMLA के तहत मामला दर्ज कर सकता है।

भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) को GST मुनाफाखोरी-रोधी मामलों का प्रभार सौंपा गया

केंद्र सरकार ने 24 नवंबर को एक अधिसूचना के द्वारा भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) को केंद्रीय वस्तु और सेवा कर अधिनियम के मुनाफाखोरी-रोधी (anti-profiteering) प्रावधानों से संबंधित मामलों का प्रभार सौंपा है। यह अधिसूचना 1 दिसंबर से लागू होगी।

CCI को अब यह आकलन करने का काम सौंपा जाएगा कि फर्मों ने GST दर में कमी या इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ उपभोक्ताओं को कीमतों में कमी के जरिए दिया या नहीं।

“मुनाफाखोरी” (profiteering)

CGST अधिनियम, 2017 की धारा 171 के संदर्भ में, वस्तुओं और सेवाओं के आपूर्तिकर्ताओं को कर की दर में किसी भी कमी का लाभ या इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ प्राप्तकर्ताओं को कीमतों में कमी के माध्यम से देना होता है। निर्धारित तरीके से उपभोक्ताओं को इन लाभों को नहीं देने की जानबूझकर कार्रवाई को “मुनाफाखोरी” (profiteering) के रूप में जाना जाता है।

भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI)

प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 के तहत भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) की स्थापना मार्च 2009 में सरकार द्वारा की गई थी।

प्रतिस्पर्धा पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाली प्रथाओं को समाप्त करना, प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना और बनाए रखना, उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करना और भारत में बाजारों में अन्य प्रतिभागियों द्वारा किए जाने वाले व्यापार की स्वतंत्रता को सुनिश्चित करना आयोग का वैधानिक कर्तव्य है। इसे भारत की एंटी-ट्रस्ट बॉडी भी कहा जाता है।

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