उदारीकृत धन प्रेषण योजना (Liberalised Remittance Scheme: LRS)
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की उदारीकृत धन प्रेषण योजना (Liberalised Remittance Scheme: LRS) के तहत, नाबालिगों सहित सभी निवासी व्यक्तियों (Resident Indian) को किसी भी अनुमत चालू या पूंजी खाता लेनदेन या दोनों के संयोजन के लिए प्रति वित्तीय वर्ष (अप्रैल-मार्च) में 2,50,000 अमेरिकी डॉलर तक मुक्त रूप से बाहर भेजने की अनुमति है।
इसके अलावा, निवासी व्यक्ति केवल 2,50,000 अमेरिकी डॉलर की सीमा के भीतर RBI द्वारा निर्धारित उद्देश्यों के लिए विदेशी मुद्रा भेजने की सुविधा का लाभ उठा सकते हैं।
यह योजना 4 फरवरी, 2004 को शुरू की गई थी।
LRS के तहत केवल व्यक्तिगत भारतीय निवासियों को धन भेजने की अनुमति है। कॉरपोरेट्स, पार्टनरशिप फर्म, HUF, ट्रस्ट आदि को इसके दायरे से बाहर रखा गया है।
विदेशी एक्सचेंजों को मार्जिन या मार्जिन कॉल के लिए भारत से धन भेजने, भारतीय कंपनियों द्वारा विदेशी द्वितीयक बाजार में जारी FCCBs की खरीद के लिए रेमिटेंस; वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) द्वारा समय-समय पर “गैर-सहयोगी देशों और क्षेत्रों” के रूप में पहचाने गए देशों में रेमिटेंस, विदेशों में फॉरेन एक्सचेंज में व्यापार के लिए धन भेजने, पूंजी खाता रेमिटेंस, प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रतिबंधित हैं।
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की उदारीकृत धन प्रेषण योजना (Liberalised Remittance Scheme: LRS) के तहत भारत से बाहर धन भेजने (Outward remittances) का आंकड़ा चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-सितंबर अवधि में पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में लगभग 50 प्रतिशत बढ़ गया।
भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, निवासी भारतीयों (resident Indians) ने पिछले वित्तीय वर्ष में 8.9 बिलियन डॉलर की तुलना में इस अवधि के दौरान 13.4 बिलियन डॉलर का भुगतान किया।
RB की योजना के तहत आउटवर्ड रेमिटेंस पिछले वित्तीय वर्ष में 19.6 अरब डॉलर के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया। बैंकरों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष में रेमिटेंस पिछले उच्च स्तर को पार कर सकता है।