तमिलनाडु सरकार ने अरिट्टापट्टी को राज्य का पहला जैव विविधता विरासत स्थल अधिसूचित किया
तमिलनाडु सरकार ने 22 नवंबर को जैव विविधता अधिनियम, 2002 की धारा 37 (Biological Diversity Act, 2002) के तहत मदुरई जिले के अरितापट्टी और मीनाक्षीपुरम गांवों में फैले 193.215 हेक्टेयर क्षेत्र को ‘अरिटापट्टी जैव विविधता विरासत स्थल’ (Arittapatti Biodiversity Heritage Site) के रूप में अधिसूचित किया।
अरिटापट्टी जैव विविधता विरासत स्थल
यह तमिलनाडु में अधिसूचित पहली जैव विविधता विरासत स्थल (Biodiversity Heritage Site) है।
अरितापट्टी गांव में सात बंजर ग्रेनाइट पहाड़ियों की एक श्रृंखला है। चट्टानी पहाड़ियों का विशिष्ट लैंडस्केप वाटरशेड के रूप में कार्य करता है और 72 झीलों, 200 प्राकृतिक झरनों और तीन चेक बांधों का समर्थन करता है।
अनाइकोंडन टैंक (Anaikondan tank) 16वीं शताब्दी में पांड्यों के शासनकाल के दौरान बनाया गया था।
अरितापट्टी गांव की पहाड़ियों का जैविक और ऐतिहासिक महत्व है। इस स्थल पर विभिन्न मेगालिथिक संरचनाएं, तमिल ब्राह्मी शिलालेख, जैन बेड और 2,200 साल पुराने रॉक-कट मंदिर भी हैं, जो इसे ऐतिहासिक महत्व देते हैं।
क्या है जैव विविधता विरासत स्थल?
जैव विविधता विरासत स्थल (Biodiversity Heritage Site) अच्छी तरह से परिभाषित क्षेत्र हैं जो जंगली और पालतू प्रजातियों की उच्च विविधता, दुर्लभ और संकटापन्न प्रजातियों की उपस्थिति और कीस्टोन प्रजातियों के साथ अद्वितीय व पारिस्थितिक रूप से नाजुक पारिस्थितिक तंत्र हैं।
ऐसे स्थलों के महत्व और उद्देश्यों को जैव विविधता अधिनियम, 2002 की धारा 37 में रेखांकित किया गया है।
राज्य सरकार समय-समय पर स्थानीय निकायों के परामर्श से आधिकारिक राजपत्र में जैव विविधता के महत्व के क्षेत्रों को जैव विविधता विरासत स्थलों के रूप में अधिसूचित कर सकती है।
जैव विविधता विरासत स्थल, “संरक्षित क्षेत्रों” (Protected areas) की अवधारणा से भिन्न हैं। संरक्षित क्षेत्र वाइल्ड लाइफ एक्ट के अंतर्गत आते हैं।
जैव विविधता विरासत स्थल का निर्माण स्थानीय समुदायों की प्रचलित प्रथाओं और उपयोगों पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाता है। ऐसे स्थलों की घोषणा का उद्देश्य संरक्षण उपायों के माध्यम से स्थानीय समुदायों के जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाना है।