3D बायो-प्रिंटिंग-मिटो प्लस
3D बायो-प्रिंटिंग (Bio-printing) ऊतक प्रतिकृति (tissue replication) की एक विधि है जो अस्थायी या स्थायी रूप से जीवित कोशिकाओं का समर्थन और पोषण करती है।
यह तकनीक अंग प्रत्यारोपण के लिए एक संभावित विकल्प है, जो कृत्रिम जीवित ऊतकों को प्रिंट करने के लिए विशेष रूप से इंजीनियर बायोमैटिरियल्स या बायो-स्याही ( bio-inks) का उपयोग करके कृत्रिम मानव ऊतकों (artificial living tissues) जैसे त्वचा के निर्माण में उपयोगी हो सकती है।
भारतीय टेक स्टार्टअप Avay Biosciences द्वारा लॉन्च किया गया एक स्वदेशी अत्याधुनिक 3डी बायो-प्रिंटर ‘मिटो प्लस’ (Mito Plus) मानव ऊतकों को प्रिंट करने में मददगार पाया गया है।
Mito Plus को 16 से 18 नवंबर 2022 के बीच आयोजित बेंगलुरु टेक समिट में लॉन्च किया गया था।
Mito Plus का प्रोटोटाइप NIRF रैंकिंग द्वारा शीर्ष रैंक वाले विज्ञान अनुसंधान संस्थान, भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc), बैंगलोर में स्थापित किया गया था।
बायो-प्रिंटर लगभग उसी तरह से काम करते हैं जैसे अन्य 3डी प्रिंटर करते हैं, हालांकि इनमें एक प्रमुख अंतर यह है कि यह प्लास्टिक, धातु या पाउडर जैसी सामग्री वितरित करने के बजाय, बायो-प्रिंटर त्वचा ऊतक, यकृत ऊतक आदि जैसी जटिल संरचनाओं का निर्माण करने के लिए बायोमैटेरियल्स का इस्तेमाल करती हैं जिनमें जीवित कोशिकाएं भी शामिल हो सकती हैं।
3डी बायो-प्रिंटिंग विज्ञान और प्रौद्योगिकी के माध्यम से मानवता के लिए एक अनूठा उपहार है। हालांकि, अभी भी कई चुनौतियों का समाधान किया जाना बाकी है।
यदि पशु कोशिकाओं का उपयोग किया जाता है, तो कृत्रिम मांस बनाने के लिए बायोप्रिंटिंग का भी उपयोग किया जा सकता है।