पड़ोसियों को भारत का सॉफ्ट लोन बढ़कर 15 अरब डॉलर हुआ
पिछले आठ वर्षों में पड़ोसी देशों के लिए भारत के सॉफ्ट लोन (Soft Loan) की मात्रा लगभग $3 बिलियन से बढ़कर लगभग $15 बिलियन हो गई है।
- यह डेटा भारत के पूर्व विदेश सचिव और जी -20 के मुख्य समन्वयक हर्षवर्धन श्रृंगला द्वारा साझा किया गया।
क्या है सॉफ्ट लोन?
- सॉफ्ट लोन वे लोन होते हैं जिनमें व्यावसायिक रूप से उपलब्ध लोन की तुलना में अधिक उदार पुनर्भुगतान की शर्तें होती हैं। उन्हें “रियायती ऋण” भी कहा जाता है।
- आम तौर इसे बाजार ब्याज दर से कम दर पर दिया जाता है और चुकाने की अवधि भी लम्बी हो सकती है। सरकारें आमतौर पर उन परियोजनाओं के लिए सॉफ्ट लोन देती हैं जो उन्हें लगता है कि सार्थक हैं।
- सरकारी एजेंसियां और विकास एजेंसियां आमतौर पर सॉफ्ट लोन जारी करती हैं।
- भारत एक्ट ईस्ट नीति के हिस्से के रूप में, दक्षिण पूर्व एशिया के साथ आर्थिक, तकनीकी, राजनीतिक और सुरक्षा संबंधों को मजबूत करने के लिए बुनियादी ढांचे, रेल, दूरसंचार, बिजली और जलमार्गों को आधुनिक करने की महत्वाकांक्षा है।
- इस संबंध में एक महत्वपूर्ण आँकड़ा यह है कि भारत द्वारा अपने निकटवर्ती पड़ोस को दी जाने वाली लाइन ऑफ़ क्रेडिट 2014 के 3 बिलियन डॉलर से बढ़कर आज 15 बिलियन डॉलर के करीब पहुंच गई है।
- भारत के साथ बेहतर कनेक्टिविटी के लिए बुनियादी ढांचा विकसित करने के लिए भारत अपने पड़ोसियों को सॉफ्ट लोन प्रदान कर रहा है।
- भारत ऐसा इसलिए कर रहा है, क्योंकि इस क्षेत्र को जोड़कर, यह सामान्य रूप से अपने देश और विशेष रूप से पूर्वोत्तर में विकास और लाभ ला सकता है।