वैश्विक मीथेन आकलन 2030: बेसलाइन रिपोर्ट
वैश्विक मीथेन आकलन 2030: बेसलाइन रिपोर्ट (Global Methane Assessment 2030: Baseline Report) संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण (UNEP) और क्लीन एयर कोएलिशन (2022) द्वारा प्रकाशित की गई है।
रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष
वातावरण में मीथेन की मात्रा रिकॉर्ड दर से बढ़ रही है। चार दशक पहले वैश्विक निगरानी शुरू होने के बाद से 2021 में सबसे बड़ी वार्षिक वृद्धि दर्ज की गई।
वर्तमान सांद्रता अब पूर्व-औद्योगिक स्तरों का 260 प्रतिशत है। ये वृद्धि अत्यधिक मानव गतिविधियों के कारण है।
जलवायु परिवर्तन पर अंतर सरकारी पैनल (IPCC) के छठे आकलन से पता चलता है कि मानव जनित मीथेन उत्सर्जन वर्तमान कुल वार्मिंग के लगभग 45 प्रतिशत के लिए जिम्मेदार है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि केवल कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में कटौती करने के प्रयासों की तुलना में अगले दशक में मीथेन उत्सर्जन में कटौती हासिल करने से पृथ्वी काफी ठंडा रहेगा। ऐसा इसलिए क्योंकि CO2 उत्सर्जन में कमी के प्रयास से वायुमंडल से कूलिंग एरोसोल भी हट जाते हैं।
2021 ग्लोबल मीथेन आकलन में पाया गया कि 2030 तक 1.5 डिग्री सेल्सियस तक वार्मिंग को सीमित करने के लिए कम लागत वाले परिदृश्यों में जीवाश्म ईंधन से उत्सर्जन लगभग 60%, अपशिष्ट से 30-35% और कृषि से 20-25% मीथेन उत्सर्जन में कमी की आवश्यकता है।
आज, मानव गतिविधि से कुल मीथेन उत्सर्जन सालाना 350-390 मिलियन टन के बीच है। कृषि और जीवाश्म ईंधन ऊर्जा क्षेत्रों से उत्सर्जन तुलनीय है जो प्रति वर्ष लगभग 120-140 मिलियन टन है और यह अपशिष्ट क्षेत्र के उत्सर्जन का लगभग दोगुना है। (See the figure)
ग्लोबल मीथेन प्लेज (GMP)
ग्लोबल मीथेन प्लेज (GMP) नवंबर 2021 में ग्लासगो में जलवायु परिवर्तन पर पक्षकारों के सम्मेलन (COP26) में लॉन्च किया गया था।
भारत ने GMP पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं।
ग्लोबल मीथेन प्लेज का लक्ष्य 2030 तक 2020 के स्तर से नीचे मानवजनित मीथेन उत्सर्जन में कम से कम 30 प्रतिशत की कमी करना है।
GMP लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए 2020 में वार्षिक उत्सर्जन में लगभग 380 मिलियन टन से 2030 में 270 मिलियन टन से कम की कमी की आवश्यकता होगी-यानी कम से कम 110 मिलियन टन की गिरावट।