तीसरे ‘नो मनी फॉर टेरर’ (NMFT) मंत्रिस्तरीय सम्मेलन: टेररिज्म वित्तपोषण के खिलाफ भारत की स्ट्रेटेजी के छः स्तंभों की घोषणा
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने दृढ़ता से आतंकवाद से निपटने में संशय की किसी भी स्थिति से बचने को कहा है और उन देशों को भी चेतावनी दी है जो आतंकवाद का विदेश नीति के एक साधन के रूप में इस्तेमाल करते हैं।
प्रधानमंत्री 18 नवंबर को आतंकवाद-रोधी वित्तपोषण पर नई दिल्ली में तीसरे ‘नो मनी फॉर टेरर’ (No Money for Terror: NMFT) मंत्रिस्तरीय सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।
नो मनी फॉर टेरर’ (No Money for Terror: NMFT) मंत्रिस्तरीय सम्मेलन
- आतंकवादी संगठनों को गैरकानूनी ढंग से दी जाने वाली मदद रोकने पर मौजूदा अंतरराष्ट्रीय गवर्नेंस की प्रभावशीलता और उभरती चुनौतियों का समाधान करने के लिए आवश्यक कदमों पर 18-19 नवम्बर को आयोजित दो दिवसीय सम्मेलन भाग लेने वाले देशों और संगठनों को एक अनूठा मंच प्रदान करेगा।
- यह सम्मेलन पिछले दो सम्मेलनों (अप्रैल 2018 में पेरिस में और नवम्बर 2019 में मेलबर्न में आयोजित) के लाभों और सीखों पर आधारित है और आतंकवादियों को धन देने और उन्हें अपना कार्य करने की इजाजत मिलने के अधिकार से वंचित करने के लिए वैश्विक सहयोग बढ़ाने की दिशा में काम करेगा।
- इसमें मंत्रियों, बहुपक्षीय संगठनों के प्रमुखों और वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (FATF) प्रतिनिधिमंडलों के प्रमुखों सहित दुनिया भर के करीब 450 प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं।
क्या कहा प्रधानमंत्री ने?
- प्रधानमंत्री ने कहा कि आतंकवाद का दीर्घकालिक प्रभाव खासतौर से गरीबों और स्थानीय अर्थव्यवस्था पर बहुत भारी होता है।
- प्रधानमंत्री ने आतंकवाद से निपटने में किसी भी प्रकार के संशय के खिलाफ चेतावनी दी। उन्होंने आतंकवाद की गलत धारणाओं का जिक्र किया और कहा “अलग-अलग हमलों की प्रतिक्रिया की तीव्रता इस आधार पर भिन्न नहीं हो सकती है कि वे कहां होते हैं। सभी आतंकवादी हमलों के खिलाफ समान आक्रोश और कार्रवाई होनी चाहिए। कई बार आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई रोकने के लिए आतंकवाद के समर्थन में अप्रत्यक्ष तर्क दिए गए। उन्होंने जोर देकर कहा कि वैश्विक खतरे से निपटने के दौरान संशय के लिए कोई स्थान नहीं है।
- “अच्छा आतंकवाद और बुरा आतंकवाद नाम की कोई चीज नहीं है। उन्होंने कहा कि कुछ देश अपनी विदेश नीति के तहत आतंकवादियों का समर्थन करते हैं। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय संगठनों से छद्म युद्धों से सतर्क रहने को भी कहा। आतंकवाद का समर्थन करने वाले देशों को इसकी कीमत चुकाने के लिए मजबूर किया जाना चाहिए।
- प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, वित्तीय कार्रवाई कार्य बल, वित्तीय खुफिया इकाइयों और एग्मोंट समूह (Egmont Group) अवैध धन प्रवाह की रोकथाम, उसका पता लगाने और अभियोजन में सहयोग बढ़ा रहे हैं।
- प्रधानमंत्री ने प्रकाश डाला कि यह संरचना पिछले दो दशकों से कई तरीकों से आतंक के खिलाफ युद्ध में मदद कर रही है।
टेररिज्म के वित्तपोषण के खिलाफ भारत की स्ट्रेटेजी के छः स्तंभ (India’s strategy against the financing of terrorism is based on these six pillars)
अपने अध्यक्षीय सम्बोधन में गृह मंत्री श्री अमित शाह ने कहा कि टेररिज्म, निस्संदेह, वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए सबसे गंभीर खतरा है, लेकिन उनका मानना है कि, टेररिज्म का वित्तपोषण, टेररिज्म से कहीं अधिक खतरनाक है। केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि टेररिज्म के वित्तपोषण की समस्या व्यापक हो चुकी है। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में भारत ने टेररिज्म के वित्तपोषण पर नकेल कसने में सफलता हासिल की है। टेररिज्म के वित्तपोषण के खिलाफ भारत की स्ट्रेटेजी इन छः स्तंभों पर आधारित है:
- लेजिस्लेटिव और टेक्नोलॉजिकल फ्रेमवर्क को मजबूत करना,
- व्यापक मोनिटरिंग फ्रेमवर्क का निर्माण करना,
- सटीक इंटेलिजेंस साझा करने का तंत्र, इन्वेस्टीगेशन एवं पुलिस ऑपरेशन्स को मजबूत करना,
- संपत्ति की जब्ती का प्रावधान,
- कानूनी संस्थाओं और नई तकनीकों के दुरुपयोग रोकना और
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग एवं समन्वय स्थापित करना।