17वां G-20 शिखर सम्मेलन: विश्व नेताओं ने बाली घोषणापत्र अपनाया

17वां G-20 राष्ट्राध्यक्षों और शासनाध्यक्षों का शिखर सम्मेलन (17th G20 Heads of State and Government Summit) 15-16 नवंबर 2022 को बाली, इंडोनेशिया में हुआ।

इंडोनेशियाई G20 प्रेसीडेंसी की थीम थी “रिकवर टुगेदर, रिकवर स्ट्रॉन्गर” (Recover Together, Recover Stronger)।

सम्मेलन की समाप्ति पर इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को G20 की अध्यक्षता (G-20 Presidency) सौंपी, जिन्होंने कहा कि समूह की अध्यक्षता संभालना भारत में प्रत्येक नागरिक के लिए गर्व की बात है।

बाली घोषणापत्र

विश्व नेताओं ने यूक्रेन में रूस के युद्ध की निंदा करते हुए बाली घोषणापत्र (Bali Leaders’ Declaration) अपनाया।

सितंबर 2022 में शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन के इतर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ द्विपक्षीय बैठक के दौरान प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा की गई टिप्पणी “आज का युग युद्ध का नहीं है“, को भी इस घोषणापत्र में जगह दी गयी है।

घोषणा ने तुर्की और संयुक्त राष्ट्र की मध्यस्थतत्ता वाले ब्लैक सी ग्रेन इनिशिएटिव (Black Sea Grain Initiative) का स्वागत किया जिसने यूक्रेनी अनाज के निर्यात की अनुमति देने के लिए रूस की गारंटी हासिल की।

G-20 राष्ट्रों ने मौजूदा संघर्षों और तनावों से बढ़ी वैश्विक खाद्य सुरक्षा के लिए उत्पन्न चुनौतियों पर गहरी चिंता व्यक्त की है और जीवन बचाने, भूखमरीऔर कुपोषण को रोकने के लिए तत्काल कार्रवाई करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की है।

सदस्य राष्ट्रों ने सतत और रेजिलिएंस कृषि और खाद्य प्रणालियों और आपूर्ति श्रृंखलाओं की दिशा में त्वरित परिवर्तन का आह्वान किया।

घोषणापात्र ने वैश्विक खाद्य संकट को दूर करने के लिए सभी उपलब्ध साधनों का उपयोग करके सबसे वल्नरेबल लोगों को भूखमरी से बचाने की प्रतिबद्धता व्यक्त की।

G20 ने डिजिटल साक्षरता विकसित करने और “डिजिटल परिवर्तन” के सकारात्मक प्रभावों का उपयोग करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का आह्वान किया, जो शिखर सम्मेलन के तीन कार्य सत्रों में से एक का विषय था ।

G20 के बारे में

द ग्रुप ऑफ़ ट्वेंटी, या G20, अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक और वित्तीय एजेंडे के सबसे महत्वपूर्ण पहलुओं पर अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का प्रमुख मंच है।

यह दुनिया की प्रमुख एडवांस्ड और इमर्जिंग अर्थव्यवस्थाओं को एक साथ लाता है। दिसंबर 1999 में, वैश्विक आर्थिक स्थिरता के प्रमुख मुद्दों पर एक अनौपचारिक संवाद के लिए पहली बार बर्लिन (जर्मनी) में प्रणालीगत महत्व के एडवांस्ड और इमर्जिंग देशों के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक के गवर्नरों की बैठक हुई। तब से, वित्त मंत्री और केंद्रीय बैंक के गवर्नर सालाना मिलते रहे हैं।

भारत ने 2002 में G20 के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक के गवर्नरों की एक बैठक की मेजबानी की थी।

वर्ष 2008 के वैश्विक वित्तीय और आर्थिक संकट को दूर करने के लिए G20 को 2008 में वैश्विक नेताओं के शिखर सम्मेलन का दर्जा दिया गया।

G20 के सदस्य हैं: अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, दक्षिण कोरिया, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, ब्रिटेन, अमेरिका और यूरोपीय संघ ।

G-20 बिना किसी स्थायी सचिवालय या कर्मचारियों के काम करता है

सदस्य देश बारी-बारी से इसकी अध्यक्षता (प्रेसीडेंसी) सालाना आधार पर करते हैं है। पिछले वर्ष की प्रेसीडेंसी, वर्तमान प्रेसीडेंसी और अगले साल की प्रेसीडेंसी तीन सदस्यीय प्रबंधन समूह का हिस्सा है जिसे ट्रोइका (Troika) कहा जाता है।

G20 शिखर सम्मेलन के लिए प्रारंभिक प्रक्रिया शेरपा (Sherpas) और फाइनेंस ट्रैक के माध्यम से आयोजित की जाती है जो शिखर सम्मेलन में अपनाए गए मुद्दों और प्रतिबद्धताओं को तैयार करते हैं और उनका पालन करते हैं।

शेरपाओं का ट्रैक G20 प्रक्रिया के प्रक्रियात्मक नियमों जैसे आंतरिक पहलुओं को संबोधित करते हुए विकास, भ्रष्टाचार विरोधी और खाद्य सुरक्षा जैसे गैर-आर्थिक और वित्तीय मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करता है।

शेरपा नियमित तौर पर योजना निर्माण, संवाद और कार्यान्वयन कार्यों में लगे रहते हैं।

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