सरकार ने रुपये में व्यापार निपटान को निर्यात प्रोत्साहन योजनाओं का लाभ दिया

भारत के विदेश व्यापार महानिदेशक (DGFT) ने विदेश व्यापार नीति में संशोधन किया है। इसके तहत रुपये में व्यापार करने वाले निर्यातक (Exporters settling trade in rupee terms) अब निर्यात प्रोत्साहन या शुल्क छूट का उपयोग कर सकेंगे। इस कदम का उद्देश्य निर्यातकों को रूस जैसे देशों को विदेशी मुद्रा के बजाय रूपये में शिपमेंट (ट्रेड) को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित करना है।

रुपये में व्यापार करने के लिए क्यूबा और सूडान सहित अन्य देशों के साथ भी बातचीत चल रही है।

मुक्त रूप से परिवर्तनीय मुद्रा

संशोधन से पहले, निर्यातकों को शुल्क वापसी, निर्यात प्रोत्साहन पूंजीगत वस्तु प्रोत्साहन (EPCG), और एडवांस ऑथोराइज़ेशन स्कीम के रूप में प्रोत्साहन केवल तभी उपलब्ध थे जब भुगतान या निर्यात प्राप्ति मुक्त रूप से परिवर्तनीय मुद्राओं ( freely convertible currencies) में आती थी।

मुक्त रूप से परिवर्तनीय मुद्राओं में अमेरिकी डॉलर, ब्रिटिश पाउंड, यूरो और जापानी येन शामिल हैं।

रुपये के अंतर्राष्ट्रीयकरण

हालाँकि, रुपये के अंतर्राष्ट्रीयकरण (internationalization of the rupee) में बढ़ती रुचि को देखते हुए, भारतीय रुपये में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार लेनदेन को सुविधाजनक बनाने और आसान बनाने के लिए नीतिगत संशोधन किए गए हैं।

भारतीय रिजर्व बैंक ने जुलाई 2022 में अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए रुपया निपटान प्रणाली (rupee settlement system) की शुरुआत की, जहां सभी देशों को निर्यात और आयात का चालान, भुगतान और निपटान, अगर RBI द्वारा अनुमोदित किया जाता है, तो भारतीय रुपये में हो सकता है।

इस मैकेनिज्म के तहत, निर्यातक और आयातक रुपये में (denominated in rupees) की प्राप्तियों और भुगतानों के लिए भागीदार देश के कॉरेस्पोंडेंट बैंक से जुड़े एक विशेष वोस्ट्रो खाते (Vostro account) का उपयोग कर सकते हैं।

यह निर्णय घरेलू मुद्रा के अंतर्राष्ट्रीयकरण को बढ़ावा देने का संकेत देता है। ये भारतीय रुपये की 100% परिवर्तनीयता की दिशा में शुरुआती कदम हैं।

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