संयुक्त राष्ट्र ने ‘मीथेन अलर्ट एंड रिस्पांस सिस्टम (MARS)’ लॉन्च किया

संयुक्त राष्ट्र ने 11 नवंबर 2022 को क्लाइमेट वार्मिंग गैस मीथेन के उत्सर्जन का पता लगाने और सरकारों और व्यवसायों को आवश्यक कदम उठाने की अनुमति देने के लिए एक नई उपग्रह-आधारित प्रणाली की घोषणा की है। मीथेन अलर्ट एंड रिस्पांस सिस्टम (Methane Alert and Response System: MARS) नामक यह प्रणाली 27वें संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (COP-27) में लॉन्च किया गया।

मीथेन अलर्ट एंड रिस्पांस सिस्टम (MARS) की प्रमुख विशेषताएं

MARS, UNEP अंतर्राष्ट्रीय मीथेन उत्सर्जन वेधशाला (IMEO) रणनीति के हिस्से के रूप में स्थापित एक डेटा-टू-एक्शन प्लेटफ़ॉर्म है।

यह ग्लोबल मीथेन प्लेज एनर्जी पाथवे के फ्रेमवर्क के तहत विकसित किया गया है तथा यूरोपीय आयोग, अमेरिकी सरकार, ग्लोबल मीथेन हब और बेजोस अर्थ फंड से इसे आरंभिक फण्ड प्राप्त हुई है।

MARS को अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी और UNEP द्वारा आयोजित जलवायु और स्वच्छ वायु गठबंधन (Climate and Clean Air Coalition) सहित भागीदारों के साथ लागू किया जाएगा।

MARS सार्वजनिक रूप से उपलब्ध पहली ऐसी वैश्विक प्रणाली होगी जो पारदर्शी रूप से मीथेन का पता लगाने को अधिसूचना प्रक्रियाओं से जोड़ने में सक्षम होगी।

यह उत्सर्जन की प्रमुख घटनाओं की पहचान करने, प्रासंगिक हितधारकों को सूचित करने और मिटिगेशन प्रगति को समर्थन और ट्रैक करने के लिए अत्याधुनिक उपग्रह डेटा का उपयोग करेगा।

MARS मुख्य रूप से जीवाश्म ईंधन उद्योग में अधिक उत्सर्जन वाले स्रोतों को ट्रैक करेगा, लेकिन समय के साथ, कोयला, अपशिष्ट, पशुधन और चावल के खेतों से भी उत्सर्जन का पता लगाने में सक्षम होगा

मीथेन के बारे में

मीथेन छह प्रमुख ग्रीनहाउस गैसों में से दूसरी सबसे कॉमन है, लेकिन ग्लोबल वार्मिंग पैदा करने की क्षमता के मामले में कार्बन डाइऑक्साइड की तुलना में कहीं अधिक खतरनाक है। वर्तमान वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के लगभग 17 प्रतिशत के लिए यह उत्तरदायी है।

मीथेन को पूर्व-औद्योगिक समय से कम से कम 25 से 30 प्रतिशत तापमान वृद्धि के लिए दोषी ठहराया गया है।

कार्बन डाइऑक्साइड के विपरीत, मीथेन काफी हद तक एक क्षेत्रक (सेक्टोरल) गैस है, और उत्सर्जन के कुछ ही स्रोत हैं। इसलिए, अर्थव्यवस्था पर व्यापक प्रभाव डाले बिना मीथेन उत्सर्जन में कटौती करना संभव है।

चूंकि इसकी ग्लोबल वार्मिंग क्षमता कार्बन डाइऑक्साइड की तुलना में लगभग 80 गुना है, इसलिए मीथेन उत्सर्जन में कटौती कम समय में ही अधिक परिणाम दे सकती है।

वैश्विक मीथेन संकल्प (Global Methane Pledge)

बता दें कि वर्ष 2021 में ग्लासगो जलवायु सम्मेलन में, लगभग 100 देशों ने वैश्विक मीथेन संकल्प (Global Methane Pledge) की घोषणा की थी जिसका उद्देश्य वर्ष 2020 के स्तर से 2030 तक मीथेन उत्सर्जन को कम से कम 30 प्रतिशत कम करना है।

तब से अधिक देश इस पहल में शामिल हो गए हैं, जिससे कुल संख्या लगभग 130 हो गई है। हालांकि भारत इसमें शामिल नहीं है।

वर्ष 2030 तक मीथेन उत्सर्जन में 30 प्रतिशत की कमी के परिणामस्वरूप वर्ष 2050 तक तापमान में 0.2 डिग्री की वृद्धि से बचने की उम्मीद है, और तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस के लक्ष्य से नीचे रखने के वैश्विक प्रयास में इसे पूरी तरह से आवश्यक माना गया है।

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