बाजार अवसंरचना संस्थानों (MII) में सुधार की सिफारिश
भारत के पूंजी बाजार नियामक सेबी (SEBI) द्वारा गठित एक पैनल चाहता है कि स्टॉक एक्सचेंज, क्लियरिंग हाउस और डिपॉजिटरी अपने अनुपालन और जोखिम प्रबंधन संरचनाओं में सुधार करें ताकि गवर्नेंस की खामियों को कम किया जा सके।
एक पूर्व केंद्रीय बैंकर और भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) के पूर्व पूर्णकालिक सदस्य जी. महालिंगम की अध्यक्षता वाली एक समिति ने सिफारिश की कि बाजार अवसंरचना संस्थानों (market infrastructure institutions: MII) को कार्यों को तीन व्यापक श्रेणियों में विभाजित करना चाहिए; क्रिटिकल ऑपरेशन्स; रेगुलेटरी, कम्प्लाइंस और जोखिम प्रबंधन; और अन्य कार्य जैसे व्यवसाय विकास।
पैनल ने कहा कि इनमें से संस्थानों को पहले दो को प्राथमिकता देनी चाहिए।
बता दें कि ये सिफारिशें ऐसे समय में आईं हैं जब CBI, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के को-लोकेशन घोटाला की जांच कर रही है जो गवर्नेंस में कमी को उजागर किया है।
पैनल ने मार्किट इंफ्रास्ट्रक्चर इंस्टीट्यूशन्स (MII) में बोर्ड के कम से कम दो-तिहाई सदस्यों में अधिक स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए जनहित निदेशक (पब्लिक इंटरेस्ट डायरेक्टर) शामिल करने की सिफारिश की है।
यह भी कि MII के बोर्ड और वरिष्ठ प्रबंधन टीम की भूमिका को मार्गदर्शक सिद्धांतों के एक सेट के माध्यम से स्पष्ट रूप से रेखांकित किया जाना चाहिए।
पारदर्शिता बढ़ाने के लिए, MII को ‘प्रथम स्तर के नियामक’ के रूप में अपनी भूमिका को ध्यान में रखते हुए अपने बोर्ड की बैठकों के एजेंडे और मिनट्स को डिस्क्लोज करना चाहिए।
मार्किट इंफ्रास्ट्रक्चर इंस्टीट्यूशन्स (MII) क्या हैं?
एक्सचेंज, डिपॉजिटरी और क्लियरिंग हाउस सभी मार्केट इंफ्रास्ट्रक्चर संस्थान हैं और देश के महत्वपूर्ण आर्थिक इंफ्रास्ट्रक्चर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।
भारत में MII काफी महत्वपूर्ण हैं खासकर सूचीबद्ध कंपनियों के बाजार पूंजीकरण, जुटाई गई पूंजी और ब्रोकर और डिपॉजिटरी के साथ निवेशक खातों की संख्या और डिपॉजिटरी के खाते में रखी गई संपत्ति के मूल्य के संदर्भ में इन संस्थानों की अभूतपूर्व वृद्धि को देखते हुए।