COP-27 के मुख्य एजेंडा में ‘नुकसान और क्षति’ फंडिंग शामिल की गयी

संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (UNFCCC) के पक्षकारों के सम्मेलन के 27 वें सत्र (COP-27) , जो शर्म-अल शेख (मिस्र) में शुरू हुआ, ने पहली बार अपने आधिकारिक एजेंडे में “नुकसान और क्षति” वित्तपोषण (Loss and Damage) को शामिल किया है। इसका मतलब है कि इस मुद्दे पर चर्चा की जाएगी और अगले दो हफ्तों में एक समझौते पर पहुंचने के लिए वार्ता की जाएगी।

बता दें कि 1990 के दशक की शुरुआत में COP बैठकों की शुरुआत के बाद से ही क्लाइमेट एजेंडे में यह मांग शामिल करने के प्रयास किये जाते रहे हैं। वहीं औद्योगिक और धनी राष्ट्र, जो पृथ्वी की जलवायु की कीमत पर दो शताब्दियों तक फलते-फूलते रहे हैं, इस एजेंडे को शामिल करने का विरोध करते रहे हैं।

उन्हें डर है कि विकासशील देश अरबों डॉलर में मुआवजे की मांग करेंगे। उनका यह भी तर्क है कि हुई क्षति को परिभाषित करना और उसका आकलन करना मुश्किल है।

हालांकि हाल की जलवायु आपदाएं, जैसे पाकिस्तान में आई बाढ़ ने एजेंडे को एक बार फिर से ज्वलंत बना दिया है।

“नुकसान और क्षति” (Loss and Damage) क्या है?

“नुकसान और क्षति” (Loss and Damage) से तात्पर्य उन अमीर और विकसित देशों द्वारा भुगतान की जाने वाली लागत से है, जो पर्यावरण को प्रदूषित करने वाले औद्योगिक उत्सर्जन के लिए प्रमुख रूप से जिम्मेदार हैं।

यह क्षतिपूर्ति यानी लागत उन गरीब देशों को भुगतान करना होगा जिनका पर्यावरण प्रदूषण में नाममात्र का योगदान है, लेकिन एक्सट्रीम क्लाइमेट इवेंट्स का सर्वाधिक खतरा का सामना वे ही कर रहे हैं। उदाहरण के लिए , हाल ही में पाकिस्तान में आई विनाशकारी बाढ़।

वास्तव में, जलवायु आपदाओं से होने वाले नुकसान और क्षति के लिए मुआवजे की मांग यूनिवर्सल रूप से स्वीकृत “प्रदूषक द्वारा भुगतान” (Polluter Pays) सिद्धांत का विस्तार है।

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