राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन की संचालन समिति की बैठक
राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन (National Natural Farming Mission) की राष्ट्रीय संचालन समिति (steering committee) की पहली बैठक 3 नवंबर को कृषि भवन, नई दिल्ली में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर की अध्यक्षता में हुई।
- बैठक में श्री तोमर ने राष्ट्रीय प्राकृतिक कृषि मिशन पोर्टल का लोकार्पण किया। इस पोर्टल में मिशन, कार्यान्वयन रूपरेखा, संसाधन, कार्यान्वयन प्रगति, किसान पंजीकरण, ब्लॉग आदि के बारे में सभी जानकारी शामिल हैं, जो किसानों के लिए उपयोगी होगी।
- साथ ही, यह वेबसाइट देश में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने में मदद करेगी।
प्राकृतिक खेती क्या है?
- प्राकृतिक खेती रासायनिक मुक्त कृषि प्रणाली है जो भारतीय परंपरा में निहित है जो पारिस्थितिकी, संसाधन रीसाइक्लिंग और ऑन-फार्म संसाधन अनुकूलन की आधुनिक समझ से समृद्ध है।
- इसे विभिन्न नामों से जाना जाता है जैसे; शून्य बजट प्राकृतिक खेती, प्राकृतिक कृषि, गाय आधारित प्राकृतिक खेती, शाश्वत खेती, रासायनिक मुक्त कृषि, आदि।
- भारत सरकार भारतीय प्राकृतिक कृषि पद्धति (BPKP) नामक एक योजना के माध्यम से प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दे रही है।
प्राकृतिक खेती को अपनाने के लिए आवश्यक महत्वपूर्ण प्रथाओं में शामिल हैं:
- कोई बाहरी इनपुट उपयोग नहीं, स्थानीय बीज (स्थानीय किस्मों का उपयोग), खेत में उत्पादित बीज ट्रीटमेंट के लिए माइक्रोबियल फॉर्मूलेशन (जैसे बीजामृत), मिट्टी के संवर्धन के लिए ऑन-फार्म मेड माइक्रोबियल इनोकुलेंट्स (जीवामृत), पोषक तत्वों की रीसाइक्लिंग के लिए हरे और सूखे कार्बनिक पदार्थों के साथ फसलों को कवर करना और मल्चिंग, मिश्रित फसल।
- भारत सरकार भारतीय प्राकृतिक कृषि पद्धति (BPKP) नामक एक योजना के माध्यम से प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दे रही है।
प्राकृतिक खेती के लाभ
- खेती की लागत को कम करता है,
- फसलों की पानी की आवश्यकता को कम करता है,
- जलवायु परिवर्तन सहने लायक बनाता है,
- खेती में खतरों को कम करता है,
- कृषि भूमि का कायाकल्प करता है,
- नागरिकों के लिए सुरक्षित और स्वस्थ भोजन कराता है,
- उपलब्ध मवेशियों (देसी गाय) को मूल्यवान संसाधन के रूप में उपयोग करता है,
- उर्वरक की बढ़ती जरुरत को रोकने में मदद करता है और
- सब्सिडी का बोझ कम करता है।
प्राकृतिक खेती के तहत क्षेत्र
- दिसंबर-2021 से 17 राज्यों में 4.78 लाख हेक्टेयर से अधिक अतिरिक्त क्षेत्र प्राकृतिक खेती के तहत लाया गया है। 7.33 लाख किसानों ने प्राकृतिक खेती में पहल की है।
- किसानों के सेनेटाइजेशन और प्रशिक्षण के लिए लगभग 23 हजार कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं।
- चार राज्यों में गंगा नदी के किनारे 1.48 लाख हेक्टेयर में प्राकृतिक खेती को लागू किया जा रहा है।
- प्राकृतिक खेती का उद्देश्य एक कृषि पारिस्थितिकी ढांचे को अपनाए जाने को बढ़ावा देकर जलवायु परिवर्तन की अनिश्चितताओं से जुड़े जोखिमों को कम करना है। यह किसानों को कम लागत वाले घरेलू इनपुट का उपयोग करने, रासायनिक उर्वरकों और औद्योगिक कीटनाशकों के उपयोग को बंद करने के लिए प्रोत्साहित करता है।
- प्राकृतिक खेती का उद्देश्य किसानों को घरेलू संसाधनों से आवश्यक पोषक तत्व और पादप संरक्षण सामग्री तैयार करने के लिए प्रोत्साहित करके उत्पादन लागत में भारी कटौती करना है, जिससे उर्वरकों और अन्य रसायनों की आवश्यकता समाप्त हो जाती है।