मथुरा में रसखान और ताज बीबी के मकबरों का कायाकल्प
मथुरा में गोकुल की जंगली गलियों के बीच रसखान (Raskhan) और ताज बीबी (Taj Bibi) के भूले-बिसरे मकबरे हैं, जो यकीनन भगवान कृष्ण के दो सबसे प्रसिद्ध मुस्लिम भक्त रहे हैं।
- उत्तर प्रदेश सरकार ने कृष्ण जन्मभूमि को राज्य में एक प्रमुख तीर्थ पर्यटन स्थल के रूप में बनाने पर ध्यान केंद्रित किया है। इसी क्रम में इन दफन स्थलों के पुनर्विकास को प्राथमिकता दी गई है।
- अब तक उपेक्षित इन दोनों के कब्रों के आसपास 14 एकड़ का परिसर विकसित किया जा रहा है।
रसखान, या सैयद इब्राहिम खान
- रसखान, या सैयद इब्राहिम खान, 16 वीं शताब्दी के सूफी मुस्लिम कवि थे, जिनका जन्म उत्तर प्रदेश के अमरोहा या हरदोई में हुआ था।
- वह कृष्ण के अनुयायी बन गए और अपना जीवन वृंदावन में बिताया।
- ब्रजभाषा साहित्य को समृद्ध करने में रसखान का योगदान अहम है। उन्होंने “श्रीमद्भागवत’ का अनुवाद फारसी में किया था।
- रसखान की कविताओं के दो संग्रह प्रकाशित हुए हैं- ‘सुजान रसखान’ और ‘प्रेमवाटिका’।
ताज बीबी
- ताज बीबी, जिसे ‘मुगल मीराबाई’ के नाम से भी जाना जाता है, एक मुस्लिम रईस की बेटी थी, जिसे मुगलों ने गोकुल क्षेत्र की रक्षा के लिए नियुक्त किया था।