चक्रवात सी-तरंग (Sitrang)
बंगाल की खाड़ी में उत्पन्न चक्रवात सी-तरंग (Sitrang) की वजह से बांग्लादेश में कम से कम 24 लोगों की मौत हो गई और लगभग 8 मिलियन लोगों को बिना बिजली के रहना पड़ा। बांग्लादेश में लगभग 10,000 घर क्षतिग्रस्त हो गए और 6,000 हेक्टेयर से अधिक फसल नष्ट हो गई।
- उल्लेखनीय है कि चक्रवात सी-तरंग (Sitrang) का नाम थाईलैंड द्वारा दिया गया था। आईएमडी की चक्रवात सूची में प्रत्येक सदस्य देश द्वारा प्रस्तावित 13 नामों सहित कुल 169 नाम हैं।
- चक्रवात सी-तरंग, जिसका भारत में असर कम हुआ, उत्तर पश्चिम भारत में हवाओं को मजबूत करने में मदद की और दिवाली उत्सव और फसल के पराली की आग जैसे अन्य स्रोतों से वायु प्रदूषण को बिखेरने में योगदान दिया।
- भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के महानिदेशक एम महापात्र ने कहा कि पछुआ पवन (अपेक्षाकृत निम्न वायुमंडलीय दबाव का लंबा क्षेत्र, जो अक्सर मौसम प्रणालियों से जुड़ा होता है) में एक ट्रफ भी चक्रवात के अवशेष को उत्तर-पूर्वोत्तर दिशा में ले जाने का कारण बना।
- उन्होंने कहा कि जब भी कोई चक्रवात गुजरता है, तो उत्तर-पछुआ हवाएं भी उठती हैं क्योंकि चक्रवात हवाओं को सिस्टम की ओर खींचता है।
चक्रवात का नामकरण
- चक्रवात एक सप्ताह से अधिक समय तक रह सकते हैं और कभी-कभी, एक निश्चित समय में कई चक्रवात होते हैं। इसलिए, मौसम के पूर्वानुमानकर्ताओं के बीच भ्रम की स्थिति को रोकने के लिए अलग-अलग नाम दिए जाते हैं।
- दुनिया भर में छह क्षेत्रीय विशिष्ट मौसम विज्ञान केंद्र (RSMCs) और पांच क्षेत्रीय उष्णकटिबंधीय चक्रवात चेतावनी केंद्र हैं, जिन्हें सलाह जारी करने और चक्रवाती तूफानों के नाम देने का जिम्मा सौंपा गया है।
- भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) RSMCs में से एक है जिसे उन चक्रवातों को एक नाम देने का काम सौंपा गया है जो उत्तरी हिंद महासागर के ऊपर बनता है जब ये 62 किमी प्रति घंटे या उससे अधिक की अधिकतम निरंतर सतह हवा की गति तक पहुँच जाते हैं।
- वर्ष 2020 में, भारत मौसम विज्ञान विभाग (India Meteorological Department) ने विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) के 13 सदस्य देशों के साथ विचार-विमर्श करने के बाद उष्णकटिबंधीय तूफानों (tropical storms) के 169 संभावित नामों की सूची प्रकाशित की।
- प्रत्येक देश को 13 नामों का सुझाव देना था। ये देश थे: बांग्लादेश, ईरान, भारत, म्यांमार, ओमान, पाकिस्तान, श्रीलंका, थाईलैंड, संयुक्त अरब अमीरात, यमन, मालदीव, कतर और सऊदी अरब।
- चक्रवात की उत्पति स्थान के आधार इन देशों को को चक्रवातों के नाम मिलते हैं।
- अटलांटिक और दक्षिणी गोलार्ध (हिंद महासागर और दक्षिण प्रशांत) में, उष्णकटिबंधीय चक्रवातों को वर्णानुक्रम में नाम प्राप्त होते हैं, और महिलाओं और पुरुषों के नाम वैकल्पिक होते हैं। \
- उत्तरी हिंद महासागर में राष्ट्रों ने वर्ष 2000 में उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के नामकरण के लिए एक नई प्रणाली का उपयोग करना शुरू किया जो नाम वर्णानुक्रम (alphabetical order) में देश के अनुसार सूचीबद्ध हैं, और ये नाम लिंग तटस्थ हैं।
उष्णकटिबंधीय चक्रवात
उष्णकटिबंधीय चक्रवात के बनने के लिए कई स्थितियों की आवश्यकता होती हैं। ये निम्नलिखित हैं:
- समुद्र का उच्च तापमान कम से कम 27 डिग्री सेल्सियस।
- समुद्र की सतह के पास हवा का अभिसरण हवा को ऊपर उठने और तूफानी बादलों का निर्माण करने के लिए मजबूर करता है।
- हवाएँ जो ऊँचाई के साथ बहुत भिन्न नहीं होती हैं। यह तूफानी बादलों को उर्ध्वाधर रूप से उच्च स्तर तक बढ़ने देता है;
- कोरिओलिस बल का प्रभावी होना।
चक्रवातों की आँख
- उष्ण कटिबंधाीय चक्रवात तटीय भागों में अधिकतर विनाश करते हैं। इनके द्वारा इस क्षेत्र में प्रति वर्ष जन-धन की अपार हानि होती है। इन चक्रवातों में अति तीव्र वायुदाब प्रवणता के कारण बहुत तेज पवनें चलती हैं जो सीमित क्षेत्र में तूफ़ान और बहुत भारी वर्षा के साथ विनाश करती हैं।
- फि़र भी ऐसे चक्रवातों के केन्द्र के चारों ओर लगभग 8 से 48 किलोमीटर क्षेत्र, जिसे इन चक्रवातों की आँख कहते हैं, में मौसम शांत और वर्षा रहित होता है।
- यदि इस आँख को खोज लिया जाये तो आधाुनिक विज्ञान की मदद से ऐसे तफ़ूानी चक्रवातों का आगे बढ़ना रोका जा सकता है और इस प्रकार हम उनसे अपनी रक्षा कर सकते हैं।