पोस्ट-डिजास्टर नीड्स असेसमेंट (PDNA)
हाल की एक रिपोर्ट के अनुसार असम, हिमाचल प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, झारखंड, महाराष्ट्र, ओडिशा और मेघालय में “आपदा उपरांत आवश्यक मूल्यांकन” (Post-Disaster Needs Assessment : PDNA) एक साथ किया जा रहा है।
संयुक्त राष्ट्र विकास समूह (UNDG), विश्व बैंक और यूरोपीय संघ ने एक संयुक्त पोस्ट-डिजास्टर नीड्स असेसमेंट (PDNA) टूल के विकास पर सहयोग किया है।
यह टूल एक हॉर्मोनाइज़्ड और समन्वित एप्रोच का प्रतिनिधित्व करता है, जो आपदा के बाद के नुकसान, हानि और रिकवरी की जरूरतों की वस्तुनिष्ट, व्यापक और सरकार के नेतृत्व वाला मूल्यांकन प्रदान करता है।
इससे एक इंटीग्रेटेड रिकवरी फ्रेमवर्क बनाने में मदद मिलती है।
PDNA मौजूदा आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 और केंद्र और राज्य स्तर पर नियमों और प्रावधानों के अनुसार एक अंतर-एजेंसी समन्वय तंत्र है।
यह क्षति, हानि और जरूरतों के आकलन और रिकवरी योजना के लिए एक व्यापक, समन्वित और कुशल एप्रोच प्रदान करता है।
PDNA एक प्रक्रिया है न कि अपने आप में एक उत्पाद, जिसमें आपदा के बाद के हफ्तों, महीनों और वर्षों में किए गए और वितरित किए गए विभिन्न तत्व और आउटपुट शामिल हैं।
यह ‘एक-शॉट’ मूल्यांकन और प्लानिंग अभ्यास नहीं है।
PDNA ऐसे किसी अन्य टूल, प्रक्रियाओं और दायित्वों की जगह नहीं लेता है जिसका उपयोग सरकारी संगठनों ने आपदा क्षति का आकलन करने के लिए किया होगा। वास्तव में यह मौजूदा टूल, प्रक्रियाओं और तंत्रों का पूरक है, जिनमें से कुछ को कई वर्षों में विकसित और परीक्षण किया गया है।
PDNA आउटपुट का उपयोग किसी विशेष संदर्भ में रिकवरी प्रयासों के संबंध में कई उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है।
PDNA राज्य सरकार के नेतृत्व वाली गतिविधि होती है और इसे शुरू करने के लिए आवश्यक धनराशि मुख्य रूप से राज्य सरकारों द्वारा उपलब्ध कराई जाती है, हालांकि यदि आवश्यक हो, तो राष्ट्रीय मंत्रालय भी योगदान देते हैं।
राज्य का राजस्व/आपदा प्रबंधन विभाग PDNA की ओवरऑल प्लानिंग और ऑपरेशन के लिए जिम्मेदार होता है।