UNHRC में चीन के शिनजियांग क्षेत्र में मानवाधिकार संकल्प पर मतदान में भारत रहा अनुपस्थित
भारत ने 6 अक्टूबर को चीन के अशांत शिनजियांग क्षेत्र (Xinjiang region) में मानवाधिकार की स्थिति पर बहस करने के लिए संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) में एक मसौदा संकल्प पर मतदान से अनुपस्थित रहा।
47 सदस्यीय UNHRC में “चीन के शिजियांग उइघर स्वायत्त क्षेत्र में मानवाधिकारों की स्थिति पर बहस” (holding a debate on the situation of human rights in the Xinjiang Uyghur Autonomous Region of China) नाम का मसौदा संकल्प खारिज हो गया।
47 सदस्यों में 17 सदस्यों ने संकल्प के पक्ष में मतदान किया, चीन सहित 19 सदस्यों ने विरोध में मतदान किया।
भारत, ब्राजील, मैक्सिको और यूक्रेन सहित 11 सदस्य मतदान के दौरान अनुपस्थित रहे।
मसौदा प्रस्ताव कनाडा, डेनमार्क, फिनलैंड, आइसलैंड, नॉर्वे, स्वीडन, यूके और यूएसए से मिलकर एक कोर समूह द्वारा प्रस्तुत किया गया था, और तुर्की सहित कई देशों द्वारा सह-प्रायोजित किया गया था।
आश्चर्य तो यह है कि दुनियाभर में मुसलमानों का रहनुमा बनने का दावा करने वाले घोषित इस्लामी देशों जैसे-पाकिस्तान, इंडोनेशिया, कतर, संयुक्त अरब अमीरात, सूडान, उज्बेकिस्तान और कजाखस्तान ने इस मसौदे को लेकर चीन के पक्ष में मतदान किया।
ह्यूमन राइट्स वॉच में चीन की निदेशक सोफी रिचर्डसन ने एक बयान में कहा कि अपने इतिहास में पहली बार, संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष मानवाधिकार संस्था ने चीन के शिनजियांग क्षेत्र में मानवाधिकार की स्थिति पर बहस करने के संकल्प पर विचार किया।
बता दें कि मानवाधिकार समूह वर्षों से उत्तर-पश्चिमी चीनी प्रांत में जो हो रहा है, उस पर चेतावनी जारी करते रहे हैं। वे आरोप लगाते रहे हैं कि चीन “पुनः-शिक्षा शिविर” का नाम देकर दस लाख से अधिक उइगर मुसलमानों को उनकी इच्छा के विरुद्ध डिटेंशन सेंटरों में रखे हुआ है।