इंटरनेशनल सोलर अलायंस (ISA) और अंतर्राष्ट्रीय सिविल एवियेशन ऑर्गनाइजेशन (ICAO) के बीच MoU पर हस्ताक्षर

मॉन्ट्रियाल में आयोजित इंटरनेशनल सिविल एवियेशन ऑर्गनाइजेशन (ICAO) सभा के 42वें सत्र से अलग 26 सितबंर, 2022 के एक समारोह में, इंटरनेशनल सोलर अलायंस (International Solar Alliance: ISA) तथा ICAO के बीच एक समझौता-ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किये गये।

भारत ने COP-26 में संकल्प लिया था कि वह 2070 तक नेट-ज़ीरो कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य प्राप्त करेगा। उसकी समझ मानव-केंद्रित है, सम्मानपूर्ण और राष्ट्रीय अस्मिता के सिद्धांतों पर आधारित है तथा सबके प्रति कटिबद्ध है।

भारत ने यह भी संकल्प किया है कि 2022 तक 175 मेगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा स्थापित करने तथा 2030 तक उत्सर्जन गहनता में 33-35 प्रतिशत तक की कटौती करने का लक्ष्य हासिल कर लेगा। इस तरह उन सभी गांवों और समुदायों तक सौर ऊर्जा पहुंचा दी जायेगी, जो अब तक इससे विहीन थे। भारत में कोच्चि अंतर्राष्ट्रीय विमान पत्तन वर्ष 2015 में ही विश्व का पहला पूरी तरह से सौर ऊर्जा युक्त हवाई अड्डा बन चुका है।

इंटरनेशनल सोलर अलायंस (ISA)

पेरिस में COP 21 के समय 2015 में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और फ्रांस के तत्कालीन राष्ट्रपति फ्रैंक्वा होलांदे ने इंटरनेशनल सोलर अलायंस की घोषणा की थी।

इंटरनेशनल सोलर अलायंस (ISA) एक ऐसा गठबंधन है, जिसके लिये 121 देशों ने हस्ताक्षर किये हैं। इसमें 32 साझेदार संगठन भी शामिल हैं, जिनमें कई संयुक्त राष्ट्र संगठन भी हैं।

ISA जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करने के लिये सौर ऊर्जा की उपयुक्त खपत की दिशा में काम करता है।

ISA का प्रयास है कि सदस्य देशों को नवीकरणीय ऊर्जा के इस्तेमाल में सस्ते और परिवर्तनगामी समाधान दिये जायें। इसके लिये अल्प विकसित देश और लघु द्वीपीय देश के प्रभाव के मद्देनजर विशेष ध्यान दिया जाता है।

ICAO

ICAO कई पहलों और लक्ष्यों के जरिये विमानन सेक्टर में कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिये प्रतिबद्ध है।

इस रचनात्मक पहल के मद्देनजर, ISA और ICAO के बीच समझौता-ज्ञापन के माध्यम से होने वाली साझेदारी बहुत सही वक्त पर हो रही है। इस तरह सौर ऊर्जा के इस्तेमाल के सम्बंध में सदस्य देशों की क्षमता विकसित करने के लिये अधिसंख्य काम किये जा सकेंगे।

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