देश के नए अटॉर्नी -जनरल होंगे आर. वेंकटरमणि
वरिष्ठ अधिवक्ता आर. वेंकटरमणि (R. Venkataramani) को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा तीन साल की अवधि के लिए नया महान्यायवादी/अटॉर्नी-जनरल (Attorney-General: A-G) नियुक्त किया गया है।
श्री वेंकटरमणि, के.के. वेणुगोपाल का स्थान लेंगे, जिनका कार्यकाल 30 सितंबर को समाप्त हो रहा है।
सुप्रीम कोर्ट में चार दशकों से अधिक अभ्यास के साथ, श्री वेंकटरमणि ने विभिन्न शाखाओं में विशेषज्ञता हासिल की है।
अटॉर्नी जनरल या महान्यायवादी
अटॉर्नी जनरल या महान्यायवादी भारत सरकार का प्रथम विधि अधिकारी होता है, और देश की सभी अदालतों में बहस करने का अधिकार रखता है।
संविधान का अनुच्छेद 76(2) कहता है, “अटॉर्नी-जनरल का यह कर्तव्य होगा कि वह ऐसे कानूनी मामलों पर भारत सरकार को सलाह दे और समय-समय पर कानूनी चरित्र के ऐसे अन्य कर्तव्यों का पालन करे जो राष्ट्रपति द्वारा उन्हें संदर्भित या सौंपा जाए“।
अनुच्छेद 88 के तहत, “भारत के अटॉर्नी-जनरल को किसी भी सदन, सदनों की किसी भी संयुक्त बैठक और संसद की ऐसी किसी भी समिति की कार्यवाही में बोलने या भाग लेने का अधिकार होगा, जिसमें उसे सदस्य बनाया जाता है”। हालांकि, सदन में उसे वोट देने का अधिकार नहीं है।
भारत के अटॉर्नी जनरल, इंग्लैंड और वेल्स के अटॉर्नी जनरल और संयुक्त राज्य अमेरिका के अटॉर्नी जनरल की तरह कैबिनेट का सदस्य नहीं है। अमेरिका में, अटॉर्नी जनरल राष्ट्रपति के मंत्रिमंडल का हिस्सा होता है।
भारत के संविधान के अनुच्छेद 76(1) के तहत, अटॉर्नी जनरल को राष्ट्रपति द्वारा उन व्यक्तियों में से नियुक्त किया जाता है जो “सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश नियुक्त होने के योग्य” हैं।
अनुच्छेद 76(4) कहता है, “अटॉर्नी-जनरल राष्ट्रपति के प्रसाद पर्यंत पद धारण करेगा और राष्ट्रपति द्वारा निर्धारित परिलब्धि प्राप्त करेगा।”