जेम्स वेब टेलीस्कोप ने नेप्च्यून के छल्ले का सबसे स्पष्ट दृश्य कैप्चर किया है
जेम्स वेब टेलीस्कोप (James Webb Telescope) ने नेपच्यून ग्रह (Neptune) की शानदार नई इमेजरी भेजी है। वेब की नई छवि में सबसे महत्वपूर्ण है नेपच्यून ग्रह के वलयों (planet’s rings) का दृश्य – जिनमें से कुछ का पता तो 1989 में नेप्च्यून का पहली बार ऑब्ज़र्वेशन करने वाला नासा का वोयाजर-2 अंतरिक्ष यान के बाद नहीं लग पाया था।
कई उज्ज्वल, संकीर्ण छल्लों के अलावा, जेम्स वेब टेलीस्कोप द्वारा भेजी गयी छवि स्पष्ट रूप से नेप्च्यून के फीके धूल बैंड को भी दिखाती है। वेब का नियर-इन्फ्रारेड कैमरा (Near-Infrared Camera: NIRCam) 0.6 से 5 माइक्रोन तक के नियर-इंफ्रारेड रेंज में छवियों को चित्रित करता है, इसलिए नेपच्यून, वेब को नीला दिखाई नहीं देता है।
वास्तव में, मीथेन गैस लाल और अवरक्त प्रकाश को इतनी दृढ़ता से अवशोषित करती है कि नेप्च्यून इन नियर-इन्फ्रारेड में काफी अंधेरा दीखता है, सिवाय वहां जहां उच्च ऊंचाई वाले बादल मौजूद हैं।
जेम्स वेब ने नेप्च्यून के 14 ज्ञात चंद्रमाओं में से सात को भी कैमरे में कैप्चर किया है जिनमें से सबसे महत्वपूर्ण ट्राइटन (Triton) है। यह वेब इमेजरी में तारे की तरह दिखाई देता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इन्फ्रारेड वेवलेंथ पर मीथेन अवशोषण की वजह से दूरबीन के दृश्य में नेपच्यून अंधेरा हो गया है। दूसरी ओर, ट्राइटन अपनी बर्फीली सतह पर पड़ने वाले सूर्य के प्रकाश का औसतन 70% परावर्तित करता है। इसलिए यह बहुत चमकीला दिखाई देता है।
नेपच्यून के बारे में
नेपच्यून ने 1846 में अपनी खोज के बाद से ही शोधकर्ताओं को आकर्षित किया है। नेपच्यून हमारे सौर मंडल में सबसे बाहरी ग्रह है, यहां तक कि यूरेनस और शनि से परे, लेकिन बौने ग्रह प्लूटो के अंदर है।
यह लगभग 4.5 बिलियन किमी की दूरी पर सूर्य की परिक्रमा करता है, और एक परिक्रमा पूरा करने में 164.8 वर्ष लेता है।
पृथ्वी की तुलना में सूर्य से 30 गुना दूर स्थित, नेपच्यून बाहरी सौर मंडल के दूरस्थ, अंधेरे क्षेत्र में परिक्रमा करता है। उस चरम दूरी पर, सूर्य इतना छोटा और मद्धिम है कि नेपच्यून पर दोपहर भी पृथ्वी पर एक मंद गोधूलि के समान दीखता है ।
इस ग्रह को इसके आंतरिक भाग के रासायनिक बनावट के कारण बर्फ के विशालकाय पिंड के रूप में जाना जाता है। विशाल गैस वाले ग्रहों बृहस्पति और शनि की तुलना में, नेपच्यून हाइड्रोजन और हीलियम जैसे भारी तत्वों से अधिक समृद्ध है।
बर्फ का विशाल पिंड नेपच्यून गणितीय गणनाओं के माध्यम से खोजे जाना वाला पहला ग्रह था। अर्बेन ले वेरियर द्वारा की गई भविष्यवाणियों का उपयोग करते हुए, जोहान गाले (Johann Galle) ने 1846 में नेपच्यून ग्रह की खोज की। इस ग्रह का नाम समुद्र के रोमन देवता के नाम पर रखा गया है, जैसा कि ले वेरियर ने सुझाया था।
नेपच्यून वलय (Neptune rings)
नेपच्यून में कम से कम पांच मुख्य वलय (ring) और चार प्रमुख वलय चाप (ring arcs) हैं जिन्हें हम अब तक जानते हैं।
नेपच्यून ग्रह के पास से शुरू होकर बाहर की ओर बढ़ते हुए, मुख्य वलय को गाले, लीवरियर, लासेल, अरागो और एडम्स (Galle, Leverrier, Lassell, Arago, and Adams) नाम दिया गया है।
वलय को अपेक्षाकृत युवा और अल्पकालिक माना जाता है।
नेपच्यून के वलय तंत्र में धूल के अजीबोगरीब गुच्छे भी हैं जिन्हें वलय चाप कहा जाता है। Liberté/Liberty (स्वतंत्रता), Egalité/Equality (समानता), Fraternité/Fraternity (बंधुत्व), और Courage (साहस) नामक चार प्रमुख आर्क सबसे बाहरी रिंग, एडम्स में स्थित हैं।