राज्यों के पर्यटन मंत्रियों का तीन दिवसीय सम्मेलन धर्मशाला में आयोजित हुआ
हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में राज्यों के पर्यटन मंत्रियों का तीन दिवसीय (18-20 सितंबर) सम्मेलन 18 सितंबर को एक प्रेस-वार्ता के साथ आरंभ हुआ, जिसकी अध्यक्षता श्री जी. किशन रेड्डी ने की।
राज्यों के पर्यटन मंत्रियों के राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्देश्य था पर्यटन विकास और उन्नति पर सभी राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों के विविध नजरियों और परिप्रेक्ष्यों को जानना; उनके साथ योजनाओं व नीतियों पर सीधे संवाद करना तथा भारत में समग्र पर्यटन विकास में राष्ट्रीय स्तर पर पहल करना भी इसमें शामिल है।
राष्ट्रीय सम्मेलन का यह भी ध्येय था कि इसे उत्कृष्ट व्यवहारों को साझा करना, सफल परियोजनाओं और पर्यटन उत्पाद अवसरों की जानकारी देना।
केंद्र सरकार के मुताबिक पर्यटन सेक्टर ने 2018 में 16.91 लाख करोड़ रुपये (240 अरब यूएसडी) या भारत के सकल घरेलू उत्पाद का 9.2 प्रतिशत सृजित किया था तथा उसने लगभग 42.67 मिलियन रोजगार या कुल रोजगार का 8.1 प्रतिशत मुहैया कराया था।
मंत्रालय ने देशभर में पर्यटन अवसंरचना के विकास के लिये 7000 करोड़ रुपये आंवटित किये हैं।
विभिन्न विषयों को दृष्टिगत रखते हुये 30 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में स्वदेश दर्शन (Swadesh Darshan) योजना के तहत 76 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है।
प्रसाद (PRASHAD) योजना का लक्ष्य है आध्यात्मिक स्थलों के आसपास पर्यटन सुविधाओं को मजबूत करना। इसके तहत 24 राज्यों में 39 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है। इन पर्यटन, तीर्थ और विरासत गंतव्यों/शहरों का अवसंरचना विकास स्वच्छता, सुरक्षा, सुगमता, सेवा आपूर्ति, कौशल विकास और स्थानीय समुदायों की आजीविका पर केंद्रित है।
मंत्रालय ने हाल में स्वदेश दर्शन 2.0 योजना आरंभ की है, जिसका उद्देश्य है सतत और दायित्वपूर्ण गंतव्यों का विकास तथा तदनुसार पर्यटक व गंतव्य केंद्रित पहल। यह पूर्व की योजनाओं का विकास है, जिस पर आगे भी काम चलता रहेगा।
इन योजनाओं का लक्ष्य सतत और दायित्वपूर्ण पर्यटन स्थलों के विकास के लिये समग्र अभियान का क्रमिक विकास करना है। इसके तहत पर्यटन व सम्बंधित अवसंरचना, पर्यटन सेवायें, मानव पूंजी विकास तथा नीतिगत व संस्थागत सुधारों के आधार पर गंतव्य प्रबंधन और प्रोत्साहन किया जायेगा।