क्या हैं ऑरेंज क्रांति, ट्यूलिप क्रांति और जैस्मीन क्रांति?

चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने 16 सितंबर को रूस, भारत सहित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के अन्य सदस्यों से अपील की कि वे विदेशी शक्तियों द्वारा “कलर क्रांतियों” (colour revolutions) के जरिये लोगों को उकसाकर अपने देशों को अस्थिर करने से रोकने के लिए एक-दूसरे का सहयोग करें।

बता दें कि रंग क्रांतियां यानी कलर क्रांतियां उन विद्रोहों की एक श्रृंखला को कहते हैं जो पहली बार 2000 के दशक की शुरुआत में पूर्वी यूरोप के पूर्व कम्युनिस्ट देशों में शुरू हुईं थी।

हालांकि बाद में इस टर्म का प्रयोग मध्य पूर्व और एशिया में लोकप्रिय आंदोलनों के लिए भी किया जाने लगा। इन अधिकांश रंग क्रांतियों के दौरान सड़कों पर बड़े पैमाने पर भीड़ जमा हो गयीं जिनमें स्वतंत्र चुनाव या शासन परिवर्तन की मांग की गयीं, और तानाशाही शासकों को हटाने की मांग की गई।

ऐसे आन्दोलनों के दौरान प्रदर्शनकारी अक्सर एक विशिष्ट रंग के पोषक धारण करते हैं, जैसे कि यूक्रेन की ऑरेंज क्रांति में, लेकिन इस शब्द का इस्तेमाल ट्यूनीशिया में जैस्मीन क्रांति जैसे फूलों के नाम पर चले आंदोलनों का वर्णन करने के लिए भी किया गया।

वर्ष 2019 में, चीन ने दावा किया था कि हांगकांग में प्रदर्शन के पीछे “रंग क्रांति ” की भूमिका दिख रही थी।

ऑरेंज रिवोल्यूशन (Orange Revolution)

ऑरेंज रिवोल्यूशन (Orange Revolution) नवंबर 2004 और जनवरी 2005 के बीच यूक्रेन में हुए विरोध प्रदर्शनों की एक श्रृंखला को संदर्भित करता है। यह अंतरराष्ट्रीय और घरेलू पर्यवेक्षकों की रिपोर्टों के रिस्पॉन्स में था, जिसमें दावा किया गया था कि देश के 2004 के राष्ट्रपति चुनाव में धांधली की गई थी।

ट्यूलिप क्रांति (Tulip Revolution)

ट्यूलिप क्रांति (Tulip Revolution), जिसे प्रथम किर्गिज़ क्रांति (First Kyrgyz Revolution) भी कहा जाता है, ने 2005 की शुरुआत में किर्गिस्तान के राष्ट्रपति आस्कर अकायेव को उनके पद से हटा दिया।

जैस्मीन क्रांति (Jasmine Revolution)

जैस्मीन क्रांति (Jasmine Revolution) दिसंबर 2010 से जनवरी 2011 के बीच ट्यूनीशिया में हुई, जो अंतर्निहित भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, मुद्रास्फीति और देश में राजनीतिक स्वतंत्रता में कमी के जवाब में थी। आंदोलन के लिए तत्काल उत्प्रेरक सिड बौज़िद शहर में एक सरकारी भवन के सामने एक युवा सब्जी विक्रेता का आत्मदाह था, जब उसका माल पुलिस द्वारा जब्त कर लिया गया था। इसी के बाद कई देशों में सरकारों के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गए थे।

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