22वें शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन समरकंद

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 16 सितंबर 2022 को उज्बेकिस्तान के समरकंद में 22 वें शंघाई सहयोग संगठन (Shanghai Cooperation Organization: SCO) शिखर सम्मेलन में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग, पाकिस्तान के प्रधान मंत्री शहबाज शरीफ और उजबेकिस्तान के राष्ट्रपति शावकत मिर्जियोयेव सहित SCO देशों के नेताओं के साथ भाग लिया।

सम्मेलन को सम्बोधित करते प्रधानमंत्री ने कहा कि SCO के सदस्य देश वैश्विक GDP में लगभग 30 प्रतिशत का योगदान देते हैं, और विश्व की 40 प्रतिशत जनसंख्या भी SCO देशों में निवास करती है। भारत SCO सदस्यों के बीच अधिक सहयोग और आपसी विश्वास का समर्थन करता है। महामारी और यूक्रेन के संकट से ग्लोबल सप्लाई चेन्स में कई बाधाएं उत्पन्न हुईं, जिसके कारण पूरा विश्व अभूतपूर्व ऊर्जा एवं खाद्य संकट का सामना कर रहा है।

प्रधानमंत्री ने खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में बाजरा (millets) की खेती और उपभोग को बढ़ावा देने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि Millets एक ऐसा सुपरफूड है, जो न सिर्फ SCO देशों में, बल्कि विश्व के कई भागों में हजारों सालों से उगाया जा रहा है, और खाद्य संकट से निपटने के लिए एक पारंपरिक, पोषक और कम लागत वाला विकल्प है।

उन्होंने कहा कि वर्ष 2023 को UN International Year of Millets के रूप में मनाया जाएगा। हमें SCO के अंतर्गत एक ‘मिलेट फ़ूड फेस्टिवल’ के आयोजन पर विचार करना चाहिए।

भारत ने SCO की रोटेशन प्रेसीडेंसी (अध्यक्षता) ग्रहण की

भारत ने पहली बार उज्बेकिस्तान से शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की रोटेशन प्रेसीडेंसी (अध्यक्षता) ग्रहण की है। उज्बेकिस्तान के ऐतिहासिक समरकंद शहर ने 15-16 सितंबर 2022 को SCO शिखर सम्मेलन की मेजबानी की थी।

जुलाई 2022 में, SCO महासचिव झांग मिंग ने घोषणा की थी कि सितंबर 2022 से सितंबर 2023 तक भारत के SCO प्रेसीडेंसी के दौरान एक नए तंत्र के तहत, वाराणसी SCO क्षेत्र का पहला ऐसा शहर होगा जिसे ‘SCO की सांस्कृतिक और पर्यटन राजधानी’ का रोटेशन टाइटल दिया जाएगा।

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने SCO फूड फेस्टिवल, SCO फिल्म फेस्टिवल सहित SCOके लिए संस्कृति के क्षेत्र में कई पहलों का प्रस्ताव रखा है। जुलाई 2022 में, SCO सचिवालय ने SCO चार्टर को अपनाने के 20 साल पूरे होने का जश्न मनाया और एक चित्र एल्बम संकलित किया जिसमें SCO देशों में लगभग 240 विश्व सांस्कृतिक विरासत स्थल शामिल हैं, जिसमें भारत के 32 स्थल शामिल हैं।
बीजिंग स्थित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) चीन, रूस, भारत, पाकिस्तान के साथ-साथ चार मध्य एशियाई देशों – कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, उज्बेकिस्तान और ताजिकिस्तान से बना है।

शंघाई सहयोग संगठन (SCO) को दुनिया के सबसे बड़े और सबसे अधिक आबादी वाले क्षेत्रीय संस्थान के रूप में जाना जाता है, जो यूरेशिया के लगभग 60% क्षेत्र, दुनिया की 40% आबादी और वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद के 30% से अधिक को कवर करता है।

शंघाई सहयोग संगठन (SCO)

शंघाई सहयोग संगठन एक स्थायी अंतर-सरकारी अंतरराष्ट्रीय संगठन है जिसकी स्थापना की घोषणा 15 जून, 2001 को शंघाई में की गई थी।
इसके पांच प्रारंभिक सदस्य थेः चीन, कजाखस्तान, किर्गिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान तथा उज्बेकिस्तान। इसने शंघाई फाइव का स्थान लिया था। शंघाई सहयोग संगठन के चार्टर पर जून 2002 में संत पीटर्सबर्ग में हस्ताक्षर किया गया था।

भारत एवं पाकिस्तान को जून 2016 में अस्ताना में हुयी बैठक में इसकी पूर्ण सदस्यता का दर्जा प्रदान किया गया।

वर्तमान में इस संगठन के आठ सदस्य देश हैं। ये देश हैंः चीन, कजाखस्तान, किर्गिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान, उज्बेकिस्तान, भारत एवं पाकिस्तान।

इसका सचिवालय बीजिंग में है जबकि क्षेत्रीय आतंकवादी रोधी संरचना (आरएटीएस) ताशकंत में है।

चीनी एवं रूसी, इसकी आधिकारिक भाषाएं हैं।

समरकंद

उज्बेकिस्तान का नाम मंगोल शासक तैमूर के पोते उज्बेक के नाम पर पड़ा है। समरकंद शहर ढाई सहस्राब्दियों से विश्व संस्कृतियों के चौराहे पर रहा है, और मध्य एशिया से गुजरने वाले सिल्क मार्ग पर सबसे महत्वपूर्ण स्थलों में से एक है। उत्तर-पूर्वी उज़्बेकिस्तान में ज़ेराफ़शान नदी घाटी में स्थित, इस शहर को प्रचुर मात्रा में प्राकृतिक संसाधनों का लाभ मिलता है और इस क्षेत्र में बसने का पता 1,500 ईसा पूर्व में लगाया जा सकता है।

चित्रों के साथ-साथ अन्य पुरातात्विक सामग्री और लिखित स्रोतों में भी काफी सबूत हैं जो दर्शाते हैं कि प्राचीन शहर में कई धर्मों का अनुपालन किया जाता था, विशेष रूप से, पारसी धर्म और ईसाई धर्म। इसके अतिरिक्त, दो बौद्ध मंदिर और दीवार पेंटिंग में हिंदू धर्म का प्रभाव भी दिखता है।

ऐसा लगता है कि समरकंद का प्राचीन शहर संस्कृतियों और धर्मों का एक क्रूसिबल शहर रहा है।

समरकंद के उत्तर-पूर्व में एक पुरातात्विक रिजर्व, जिसे अफरासियाब के नाम से जाना जाता है, प्राचीन शहर की साइट है, जिसमें विविध मध्ययुगीन समाज के कई संकेत हैं। 1399 और 1404 के बीच समरकंद में बनी बीबी खानम मस्जिद, तैमूर की पत्नी की याद में बनी है।

एक समकालीन इतिहासकार बताता है कि तैमूर ने इस परियोजना के लिए ईरान और भारत से वास्तुकारों को लाया था और निर्माण सामग्री को ढोने के लिए पचहत्तर हाथियों का इस्तेमाल किया था। तैमूर को चंगेज खान से भी ज्यादा क्रूर शासक माना जाता है। वह वर्ष 1398 में भारत पर आक्रमण किया था। उस समय दिल्ली के सुल्तान नसीरूद्दीन महमूद था। काफी लूटपाट की और हिंदुओं का कत्ल करने के आदेश दिए थे।

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