विश्व ओजोन दिवस 2022 थीम: वियना, मॉन्ट्रियल से किगाली संशोधन तक
ओजोन परत के संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस (International Day for the Preservation of the Ozone Layer) 16 सितंबर 2022 को मनाया गया। इसे विश्व ओजोन दिवस भी कहा जाता है।
इस वर्ष ओजोन दिवस की थीम है: मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल @35: वैश्विक सहयोग पृथ्वी पर जीवन की रक्षा कर रहा है‘ (Montreal Protocol@35: global cooperation protecting life on earth)।
ओजोन परत
ओजोन परत, गैस की एक नाजुक ढाल है जो पृथ्वी को सूर्य की किरणों के हानिकारक हिस्से से बचाती है और इस प्रकार पृथ्वी पर जीवन को संरक्षित करने में मदद करती है।
अधिकांश वायुमंडलीय ओजोन पृथ्वी की सतह से लगभग 9 से 18 मील (15 से 30 किमी) ऊपर, समताप मंडल (stratosphere) में एक परत में केंद्रित है और सूर्य से पृथ्वी तक पहुंचने वाले हानिकारक पराबैंगनी विकिरण की मात्रा को कम करती है।
पराबैंगनी विकिरण का मानव और पर्यावरण, दोनों पर हानिकारक प्रभाव पड़ सकता है। उदाहरण के लिए त्वचा के कैंसर और मोतियाबिंद को प्रेरित करना, पौधों की वृद्धि को विकृत करना और समुद्री पर्यावरण को नुकसान पहुंचाना।
ओजोन क्षयकारी पदार्थ (ozone-depleting potential: ODP)
ये मानव निर्मित गैसें हैं जो ओजोन परत में पहुंचने के बाद ओजोन को नष्ट कर देती हैं। ओजोन क्षयकारी पदार्थों में शामिल हैं: क्लोरोफ्लोरोकार्बन (CFCs), हाइड्रोक्लोरोफ्लोरोकार्बन (HCFCs), हाइड्रोब्रोमोफ्लोरोकार्बन HBFCs), हैलोन, मिथाइल ब्रोमाइड, कार्बन टेट्राक्लोराइड और मिथाइल क्लोरोफॉर्म।
वियना कन्वेंशन
ओजोन परत के संरक्षण के लिए वियना कन्वेंशन को 22 मार्च 1985 को 28 देशों द्वारा अपनाया और हस्ताक्षरित किया गया था। सितंबर 1987 में, इसने ओजोन परत को नष्ट करने वाले पदार्थों पर मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल का मसौदा तैयार किया।
मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल 1987
ओजोन परत को नष्ट करने वाले पदार्थों (ozone-depleting potential: ODP) पर मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल (Montreal Protocol), ओजोन परत के संरक्षण के लिए एक अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण संधि है, जिसमें मानव निर्मित रसायनों के उत्पादन और खपत को चरणबद्ध तरीके से समाप्त किया जाता है, इन्हें ओजोन क्षयकारी पदार्थ (ODP) कहा जाता है।
स्ट्रेटोस्फेरिक की ओजोन परत मानव और पर्यावरण को सूर्य से आने वाली पराबैंगनी विकिरणों के हानिकारक स्तरों से बचाती है।
16 सितंबर, 2009 को वियना कन्वेंशन और मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल संयुक्त राष्ट्र के इतिहास में यूनिवर्सल अनुसमर्थन प्राप्त करने वाली पहली संधियाँ बन गईं थीं।
किगाली संशोधन (Kigali Amendment)
किगाली संशोधन को मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के लिए अक्टूबर, 2016 में रवांडा के किगाली में आयोजित मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के पक्षकारों की 28वीं बैठक के दौरान अंगीकृत किया गया था।
किगाली संशोधन के तहत; मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के पक्षकार हाइड्रोफ्लोरोकार्बन के उत्पादन और खपत को कम कर देंगे, जिसे आमतौर पर HFCs के रूप में जाना जाता है।
बता दें कि हाइड्रोफ्लोरोकार्बन (HFCs) को क्लोरोफ्लोरोकार्बन के गैर-ओजोन क्षयकारी विकल्प के रूप में पेश किया गया था। HFC स्ट्रेटोस्फेरिक ओजोन परत को नुकसान तो नहीं पहुंचाता है लेकिन यह ग्लोबल वार्मिंग अधिक योगदान देता है, जिसका जलवायु पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इसलिए हाइड्रोफ्लोरोकार्बन के उपयोग को चरणबद्ध तरीके समाप्त करने का किगाली समझौता किया गया है।
भारत-मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल
भारत 19 जून, 1992 को ओजोन परत को नष्ट करने वाले पदार्थों पर मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल का एक पक्षकार बन गया था और तभी से भारत ने मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल में संशोधनों की पुष्टि की है।
भारत ने ओजोन परत को नुकसान पहुंचाने वाले कई प्रमुख पदार्थों (ozone-depleting potential: ODP) के उत्पादन और खपत को सफलतापूर्वक समाप्त कर दिया है और मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के वित्तीय तंत्र से तकनीकी और वित्तीय सहायता प्राप्त कर अब तक मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के सभी दायित्वों को पूरा किया है।
भारत सरकार हाइड्रोफ्लोरोकार्बन (Hydrofluorocarbons: HFCs) के उपयोग को चरणबद्ध तरीके समाप्त करने के लिए ओजोन परत को नष्ट करने वाले पदार्थों से संबंधित मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल में किए गए किगाली संशोधन (Kigali Amendment) को रैटीफाई कर चुकी है। इस भारत 2032 से 4 चरणों में HFCs के अपने चरण को 2032 में 10%, 2037 में 20%, 2042 में 30% और 2047 में 80% की संचयी कमी के साथ पूरा करेगा।
कूलिंग एक्शन प्लान
भारत मार्च, 2019 में समग्र ‘कूलिंग एक्शन प्लान’ शुरू करने वाले देशों में शामिल हो गया है। इसके तहत आवासीय और व्यापारिक इमारतों, कोल्ड–चेन, रेफ्रीजिरेशन, यातायात और उद्योगों के लिए परिशीतन समस्याओं का समाधान किया जाएगा।
भारत के ‘कूलिंग एक्शन प्लान’ का उद्देश्य है (1) सभी क्षेत्रों में 2037-38 तक कूलिंग की मांग में 20 से 25 प्रतिशत कटौती करना, (2) वर्ष 2037-38 तक रेफ्रीजिरेशन की मांग में 25 से 30 प्रतिशत तक की कमी, (3) वर्ष 2037-38 तक कूलिंग ऊर्जा आवश्यकताओं को 25 से 40 प्रतिशत तक कम करना, (4) कूलिंग और संबंधित क्षेत्रों को अनुसंधान के लिए मान्य करना (5) वर्ष 2022-23 स्किल इंडिया मिशन के साथ सेवा क्षेत्र के 1,00,000 तकनीशियनों को प्रशिक्षित करना है।