बाढ़ की वजह से मोहनजोदड़ो को यूनेस्को विश्व विरासत सूची से हटाया जा सकता है

हाल ही में हुई भारी बारिश और बाढ़ ने पाकिस्तान के सिंध प्रांत के बड़े हिस्से को तबाह कर दिया है, जिससे मोहनजोदड़ो (Mohenjo-daro) के पुरातात्विक स्थल पर भी भारी असर पड़ा है। वास्तव में, इस आपदा ने सिंधु नदी के तट पर स्थित इस पुरातत्व स्थल को “विलुप्त होने के कगार” पर धकेल दिया है।

पाकिस्तान के पुरातत्व विभाग ने कहा है कि मोहनजोदड़ो को यूनेस्को की विश्व विरासत सूची से हटाया जा सकता है, अगर इसके संरक्षण और जीर्णोद्धार पर तत्काल ध्यान नहीं दिया जाता है।

अब तक तीन धरोहरों को यूनेस्को विश्व विरासत सूची से हटाया जा चुका है:

बता दें कि यूनेस्को के 167 सदस्य देशों में लगभग 1,100 यूनेस्को विश्व विरासत स्थल (UNESCO world heritage sites) मौजूद हैं।

अब तक तीन धरोहरों को यूनेस्को विश्व विरासत सूची से हटाया जा चुका है।

विश्व धरोहर समिति ने चीन में अपने 44 वें सत्र में यूनाइटेड किंगडम के ‘लिवरपूल – मैरीटाइम मर्केंटाइल सिटी’ को विश्व विरासत सूची से हटा दिया था। यह तीसरा धरोहर स्थल था जिसे विश्व विरासत स्थल सूची से हटा दिया गया था।

इससे पहले, 2007 में ओमान में अरेबियन ऑरिक्स सैंक्चुअरी को यूनेस्को पैनल द्वारा डिलिस्ट किया जाने वाला पहला स्थान था।

इसके बाद 2009 में वर्ल्ड हेरिटेज लिस्ट से हटाई जाने वाली एक अन्य साइट थी, जर्मनी के ड्रेसडेन में एल्बे वैली। एल्बे नदी पर सड़क पुल के निर्माण के कारण इसे सूची से हटा दिया गया था।

मोहनजोदड़ो के बारे में

मोहनजोदड़ो, जो कि टीले और खंडहरों का एक समूह है, 5000 साल पुराना एक ऐतिहासिक हड़प्पा शहर है जो सुक्कुर शहर से लगभग 80 किमी दूर स्थित है।

यहां प्राचीन सिंधु घाटी सभ्यता के दो मुख्य केंद्रों में से एक के अवशेष प्राप्त होते हैं, दूसरा मुख्य केंद्र हड़प्पा है।

मोहनजोदड़ो पाकिस्तान के सिंध प्राप्त में लरकाना जिले में सिंधु नदी के पश्चिम में स्थित है।

मोहनजोदड़ो, जिसका अर्थ है ‘मृतकों का टीला’, दुनिया के सबसे पुराने शहरों में से एक था।

इसे प्राचीन सभ्यता के एक मॉडल नियोजित शहर के रूप में जाना जाता है, क्योंकि यहाँ के घरों में स्नानघर, शौचालय और जल निकासी की व्यवस्था थी। इस शहर का विशाल आकार, और सार्वजनिक भवनों और सुविधाओं का प्रावधान, एक उच्च स्तर के सामाजिक संगठन का सुझाव देता है।

मोहनजोदड़ो के खंडहरों की खोज 1920 में आरडी बनर्जी ने की थी।

परिष्कृत सिविल इंजीनियरिंग और शहरी नियोजन के साथ मोहनजोदड़ो को अपने समय का सबसे उन्नत शहर माना जाता है।

सिंधु सभ्यता के अन्य बड़े शहरों की तरह, मोहनजोदड़ो को भी दो भागों में विभाजित किया गया था – पश्चिमी तरफ एक ऊंचे टीले पर एक गढ़ और बस्ती के पूर्वी हिस्से में एक निचला शहर।

मोहनजोदड़ो में ‘विशाल स्नानागार’ (Great Bath) सबसे महत्वपूर्ण संरचना है।

यहाँ ‘विशाल स्नानागार’ के पश्चिम में स्थित एक अन्य संरचना अन्न भंडार (granary) है। इसमें अनाज के भंडारण के लिए ईंट के कई आयताकार ब्लॉक प्राप्त होते हैं।

मोहनजोदड़ो में कांस्य की ‘डांसिंग गर्ल’ की मूर्ति की खोज की गई थी।

हड़प्पा काल की एक प्रसिद्ध कला मोहनजोदड़ो में खोजी गई दाढ़ी वाले व्यक्ति की एक पत्थर की मूर्ति है। कुछ विद्वानों की राय में यह एक पुजारी की मूर्ति हो सकती है।

मोहनजोदड़ो में पशुपति मुहर भी खुदाई से प्राप्त हुई है। उसके तीन सिर हैं और वह चार जानवरों जैसे हाथी, बाघ, गैंडा और एक भैंस से घिरे योग मुद्रा में बैठे हैं।

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