रूस ने संयुक्त राष्ट्र परमाणु संधि समझौते का विरोध किया
रूस ने 26 अगस्त 2022 को परमाणु निरस्त्रीकरण पर संयुक्त राष्ट्र समीक्षा सम्मेलन (United Nations conference on nuclear disarmament) द्वारा संयुक्त घोषणा को अपनाने पर रोक लगा दी।
परमाणु अप्रसार संधि (Nuclear Non-Proliferation Treaty: NPT) की हर पांच साल में इस पर हस्ताक्षर करने वाले 191 देशों द्वारा समीक्षा की जाती है।
इस संधि का उद्देश्य परमाणु हथियारों के प्रसार को रोकना है। रूसी प्रतिनिधि ने यूक्रेन के परमाणु संयंत्रों, विशेष रूप से ज़ापोरिज्जिया (Zaporizhzhia) के आसपास सैन्य गतिविधियों पर “गंभीर चिंता” का हवाला देते हुए एक मसौदा टेक्स्ट पर आपत्ति जताई।
अंतिम दस्तावेज को सम्मेलन में उन सभी देशों के अनुमोदन की आवश्यकता थी जो परमाणु हथियारों के प्रसार को रोकने के उद्देश्य से NPT के पक्षकार हैं।
NPT समीक्षा सम्मेलन हर पांच साल में आयोजित किया जाना चाहिए था, लेकिन COVID-19 महामारी के कारण इसमें देरी हुई।
बता दें कि इससे पहले वर्ष 2015 में NPT समीक्षा सम्मेलन आयोजित हुई थी। वह सम्मेलन भी ‘सामूहिक विनाश के हथियारों से मुक्त मध्य पूर्व क्षेत्र’ (Middle East nuclear weapon free zone: MENWFZ) की स्थापना पर गंभीर मतभेदों के कारण बिना किसी समझौते के समाप्त हो गया था।
परमाणु हथियारों की समाप्ति पर अंतर्राष्ट्रीय अभियान (International Campaign to Abolish Nuclear Weapons: ICAN) ने रूस के मौजूदा रुख पर खेद व्यक्त किया।
परमाणु हथियारों की समाप्ति पर अंतर्राष्ट्रीय अभियान (ICAN) के बारे में
ICAN नॉर्वे सहित सौ से अधिक देशों में भागीदार संगठनों के साथ एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है।
इसका मुख्यालय जिनेवा में है।
संगठन की स्थापना 2007 में दुनिया भर के लोगों को अपनी सरकारों को परमाणु हथियारों पर प्रतिबंध का समर्थन करने के लिए मनाने के लिए की गई थी।
वर्ष 2017 में ICAN को नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
परमाणु निरस्त्रीकरण और भारत
भारत ने परमाणु निरस्त्रीकरण संधियों जैसे कि परमाणु अप्रसार संधि (Nuclear Non-Proliferation Treaty: NPT) और व्यापक परमाणु प्रतिबंध संधि (CTBT) पर हस्ताक्षर करने से परहेज किया है।
भारत का तर्क है कि ये संधियां भेदभावपूर्ण हैं। इन संधियों में जहाँ गैर-परमाणु देशों को परमाणु हथियार रखने की अनुमति नहीं है, वहीं परमाणु हथियार वाले देशों के पास इन हथियारों के त्यागने का कोई दायित्व नहीं है।
NPT केवल ऐसे देश को परमाणु शक्ति के रूप में मान्यता देता है यदि उस देश ने परमाणु परीक्षण 1967 से पहले किए गए थे। भारत एक गैर-परमाणु हथियार देश के रूप में संधि पर हस्ताक्षर करने के लिए तैयार नहीं है।
परमाणु हथियारों के निषेध पर संधि (Treaty on the Prohibition of Nuclear Weapons: TPNW): यह 22 जनवरी 2021 को लागू हुई। यह संयुक्त राष्ट्र के तत्वावधान में परमाणु हथियारों के पूर्ण उन्मूलन के उद्देश्य से एक कानूनी रूप से बाध्यकारी संधि है।
भारत ने TPNW पर वार्ता में भाग नहीं लिया और लगातार यह स्पष्ट किया है कि वह संधि का एक पक्षकार नहीं बनेगा। भारत संधि का समर्थन नहीं करता है, और इससे उत्पन्न होने वाले किसी भी दायित्व से बाध्य नहीं होगा। भारत का मानना है कि यह संधि प्रथागत अंतरराष्ट्रीय कानून के विकास में योगदान या गठन नहीं करती है; न ही यह कोई नया मानक या मानदंड निर्धारित करता है।
परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (NSG): वर्ष 1992 में,बहुपक्षीय निर्यात नियंत्रण व्यवस्था परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (NSG) ने उन देशों के साथ सभी परमाणु वाणिज्य को रोकने का निर्णय लिया, जिन्होंने सभी NPT सुरक्षा उपायों की पुष्टि नहीं की है। सितंबर 2008 में, एनएसजी ने भारत को छूट दी, हालांकि भारत ने NPT की पुष्टि नहीं की थी। भारत NSG का हिस्सा बनना चाहता है, लेकिन NPT पर हस्ताक्षर करने की उसकी अनिच्छा का कई देशों ने विरोध किया है, मुख्य रूप से चीन से। वर्ष 2006 में, भारत ने अमेरिका के साथ एक असैन्य परमाणु समझौते पर हस्ताक्षर किए।
मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था (MTCR): भारत वर्ष 2016 में मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था (Missile Technology Control Regime: MTCR) का पक्षकार बना, जबकि 2018 में इसे ऑस्ट्रेलिया समूह (Australia Group) में शामिल किया गया।
वासेनार अरेंजमेंट (Wassenaar Arrangement): वर्ष 2017 में, भारत वासेनार अरेंजमेंट (Wassenaar Arrangement) में शामिल हो गया। NSG की तरह, वासेनार उन विशिष्ट देशों का एक समूह है जो हथियारों के निर्यात नियंत्रण की सदस्यता लेता है। यह समझौता पारंपरिक हथियारों, दोहरे उपयोग वाली वस्तुओं (dual-use goods) और प्रौद्योगिकियों के आदान-प्रदान में अधिक पारदर्शिता सुनिश्चित करता है। चीन को छोड़कर संयुक्त सुरक्षा परिषद् के सभी सदस्य इस समझौते का हिस्सा हैं।