स्थापना के बाद पहली बार सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही का सीधा प्रसारण किया गया
सुप्रीम कोर्ट ने 26 अगस्त को अदालत की सिफारिश के तीन साल से अधिक समय बाद पहली बार अपनी कार्यवाही का सीधा प्रसारण (live streamed its proceedings) किया। भारत के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश एन वी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ की कार्यवाही को एक सरकारी वेबकास्ट पोर्टल के माध्यम से सुबह 10.30 बजे से लाइव स्ट्रीम किया गया।
परंपरा के अनुसार न्यायमूर्ति रमना ने प्रधान न्यायाधीश-नामित न्यायमूर्ति यूयू ललित और न्यायमूर्ति हिमा कोहली के साथ पीठ को साझा किया।
वर्ष 2018 के एक फैसले में, सुप्रीम कोर्ट ने कहा थाकि अदालत कक्ष के बाहर दर्शकों के लिए महत्वपूर्ण मामलों का प्रसारण अधिक पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करेगी, लेकिन तब से इस क्षेत्र में कुछ ज्यादा नहीं किया गया।
न्यायमूर्ति धनंजय वाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली ई-समिति इस विज़न को साकार करने के लिए हरकत में आई। जून 2021 में, ई-समिति ने देश के सभी उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों को पत्र लिखकर अदालती कार्यवाही की लाइवस्ट्रीमिंग और रिकॉर्डिंग के लिए मसौदा नियमों पर इनपुट मांगा।
जुलाई 2022 में, गुजरात उच्च न्यायालय अदालती कार्यवाही की लाइव-स्ट्रीमिंग शुरू करने वाला देश का पहला उच्च न्यायालय बना था।
वर्तमान में, देश के 25 उच्च न्यायालयों में से छह – गुजरात, उड़ीसा, कर्नाटक, झारखंड, पटना और मध्य प्रदेश – YouTube पर अपनी कार्यवाही का सीधा प्रसारण करते हैं।
अनीता कुशवाहा बनाम पुष्प सूदन (Anita kushwaha v. Pushap sudan) 2016 मामले में, सर्वोच्च न्यायालय की संविधान पीठ ने माना कि न्याय तक पहुंच (access to Justice ) भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 और अनुच्छेद 21 द्वारा नागरिकों के लिए एक मौलिक अधिकार की गारंटी है।