थोटी (Thoti) समुदाय के टैटू वर्क को संरक्षित करेगा IIT-हैदराबाद
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, हैदराबाद (IIT-H) के शोधकर्ता तेलंगाना के आदिलाबाद जिले में आदिवासी समुदाय थोटिस (Thotis) की सदियों पुरानी और विलुप्त हो रही प्रथाओं को रिकॉर्ड करने कर रहे हैं।
थोटी समुदाय के टैटू वर्क (tattoo work of Thotis) यूनिक पैटर्न और शिल्प के लिए ख्यात है और विलुप्त होने का सामना कर रहा है, क्योंकि इस खूबसूरत कला को जानने वाले लोगों की संख्या कम हो रही है, जिसके लिए अत्यधिक कौशल की आवश्यकता होती है।
थोटी आदिवासी (Thoti tribals) राज गोंड जनजातीय समूह का एक संबद्ध समूह हैं और उनका पारंपरिक पेशा ‘गोंड गढ़ा’ (Gond Gadhas) गाना था।
समुदाय की महिलाएं पारंपरिक टैटू बनाने वाली रही हैं, जिसका उन्होंने उपचार और इलाज की प्रक्रिया के हिस्से के रूप में अभ्यास किया। वे पैरों, पीठ, अग्रभाग, माथे, आदि पर विभिन्न चिन्हों के टैटू उकेरते हैं और किसी को तब तक विवाहित नहीं मानते हैं जब तक कि माथे पर टैटू न हो जाए।
IIT की टीम ने इस परंपरा को संरक्षित रखने का जिम्मा लिया है और इसकी जरूरत भी है क्योंकि थोटी समुदाय की पारंपरिक प्रथाओं में गिरावट आई है।
महज कुछ मुट्ठी भर परिवार ही सदियों पुरानी परंपराओं को जारी रखे हुए हैं। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार थोटिस भी एक लुप्तप्राय आदिवासी समुदाय है, जिसमें केवल 4,811 सदस्य जीवित बचे हैं।